यूँ ही नहीं बन जाता कोई नरेंद्र मोदी.....
लगातार चुनावी हार का रिकॉर्ड कायम करने के बाद आखिरकार राहुल ने धर्म विशेष के तुष्टीकरण की परंपरा से अलग होना बेहतर समझा लेकिन इसके बाद जो बदलाव की राह पकड़ी वह बिल्कुल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नक्शे कदम पर ही चलती दिखाई दे रही है। जिस माथे पर कभी तिलक लगा नहीं दिखा, उसी माथे पर अब हल्दी चंदन का लेप दिखाई दिया जाने लगा। अपनी 46 साल की जिंदगी में वह कभी मंदिर जाते नहीं दिखे लेकिन अब वह ना केवल मंदिर जाने लगे बल्कि सार्वजनिक रूप से पूजा पाठ के आयोजनों में भाग लेते भी दिखे। उम्र के इस पड़ाव में राहुल गांधी कोट के ऊपर जनेऊ धारण कर जनेऊ धारी पंडित राहुल गांधी बन गया। यह सब वैसा ही था जैसा कि नरेंद्र मोदी जी अपने जीवन शैली में नित्य नियम से करते आए हैं।
राहुल गांधी में आए इस बदलाव को नौटंकी कहना इसलिए उचित होगा क्योंकि यह बदलाव सिर्फ गुजरात चुनाव में ही नजर क्यों आया जबकि गुजरात के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव हुए और हिमाचल प्रदेश में भी बहुत सारे हिंदू देवस्थान हैं लेकिन राहुल ना तो कभी देव स्थानों में माथा टेकते नजर आया और ना ही कभी उसके माथे पर हल्दी चंदन का लेप दिखा।
राहुल गांधी ने अपनी यही नौटंकीया ताकत पूरे दमखम के साथ गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए लगा दी ताकि गुजरात में पिछले 22 वर्षों से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी की सरकार को हराया जा सके और फिर इसी हार-जीत को 2019 के लोकसभा चुनाव में भुनाया जा सके। गुजरात विधानसभा को 2019 का सेमीफाइनल भी कहा जाए तो गलत ना होगा क्योंकि यही गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कर्मभूमि भी है। 22 वर्षों में लगभग 13 वर्षों तक नरेंद्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और लगातार गुजरात को विकास के पथ पर बढ़ाते ही चले गए। गुजरात के इसी विकास मॉडल को पूरे हिन्दुस्तान ने जाना समझा, फिर 2014 लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक प्रचण्ड बहुमत के साथ प्रधानमन्त्री पद पर बिठा दिया। आज पूरी दुनिया में मोदी जी जहाँ भी जाते हैं, मोदी मोदी के उद्दघोष के साथ वहाँ के जन जन के दिल में बस जाते हैं, यही मोदी शैली की नकल अब राहुल गाँधी करता नजर आ रहा है। पहले अमेरिका और अब बहरीन यात्रा उसी मोदी शैYली की नौटँकी मात्र है।
गुजरात चुनाव में इन्ही नौटँकियों की आड़ में हर तरह के राजनीतिक हथकण्डों को अपनाया गया, गुजरात के विकास को पागल करार दिया गया, मतदाताओं को जातीय टुकड़ो में बाँट दिया गया ताकि सत्ता हथियाई जा सके, हालाँकि राहुल गुजरात की सत्ता तो नही पा सका लेकिन अपनी पार्टी की सीट बढ़ा कर भाजपा को नुकसान देने में कामयाब रहा। अब राहुल गाँधी इस हार को भी अपनी सब से बड़ी जीत मान कर 2019 की तैयारी में जुट गया।
अजी जनाब राहुल गुजरात की जनता अगर विकास को नकारती तो वैसे ही भाजपा को सत्ता से बाहर करती जैसे हिमाचल में तुम्हारी काँग्रेस सरकार को बाहर का रास्ता दिखाया है। गुजरात ही नहीं पूरे हिन्दूस्तान की जनता ने मोदी जी के विकास मॉडल को देखा है और स्वीकारा है जबकि तुम्हारे खानदानी संसदीय क्षेत्र अमेठी की बदहाली किसी से छुपी नहीं है। आज तुम बहरीन में जा कर अपने राजनैतिक हित साधने के लिए हिन्दुस्तान की बदहाली और बेरोजगारी का रोना रो रहे हो, जरा वहाँ के प्रवासी भारतीयों को अमेठी और कर्नाटक की तस्वीरें भी दिखाओ, जहाँ बीते साल में सर्वाधिक किसानों ने आत्महत्या की।
और जनाब राहुल गांधी तुम कभी चोरी छिपे चीन के प्रतिनिधि मंडल से मिलते हो तो कभी मणिशंकर अय्यर के घर पाकिस्तानी अधिकारियों से मीटिंग करते हो और कभी अमेरिका तो कभी बहरीन में अपनी सभायें करते फिर रहे हो, क्या ये मोदी शैली की नकल है या कुछ और....?
जनाब राहुल आखिर तुम किस हैसियत से इस तरह की मीटिंग कर रहे हो, क्या हिन्दुस्तान की जनता को बता पाएंगे क्योंकि मोदी जी ने जब भी विदेशों में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया तो एक राष्ट्र अध्यक्ष की हैसियत से लेकिन तुम तो ना ही किसी राष्ट्र के अध्यक्ष हो, ना कोई मंत्री और ना ही हिन्दूस्तान के किसी राज्य के मुख्यमंत्री !!
तुम केवल काँग्रेस के नए नवेले अध्यक्ष मात्र हो और काँग्रेस को ही हिन्दूस्तान मानने की गलतफहमी अब दिल से निकाल दें।
हाँ जनाब राहुल तुम जो सोच रहे हो कि मोदी जी की नकल कर के आसानी से सत्ता पाई जा सकती है, तो यह जान लो अब तो ऐसा बिल्कुल नहीं होने वाला। वैसे भी मोदी बनना कोई आसान तो नहीं, बहुत फर्क है नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी में.....
एक गरीब परिवार से अपनी कार्य क्षमता और सहृदयता से लाखों करोड़ों लोगों में एक नरेंद्र मोदी बनता है लेकिन तुम आज जहाँ हो, वह अपने खानदान के रहमों करम पर हो, ना कि अपनी काबिलियत के दम पर.....
13 साल मुख्यमंत्री और 3 साल प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भी नरेंद्र मोदी का परिवार आज भी साधारण जीवन जी रहा है जबकि किसी महत्त्वपूर्ण पद पर रहे बिना राहुल गांधी का खानदान हिन्दूस्तान की जनता की खून पसीने की कमाई से ऐशो-आराम की जिंदगी जी रहा है.....
हर रोज दंगों की आग में जलने वाला गुजरात गोधरा के दंगों के बाद फिर कभी दंगों की आग में नहीं जला। तुम्हारी लाख कुटिल चालों के बाद भी नरेंद्र मोदी का दामन स्वच्छ साफ रहता है जबकि राहुल गांधी का खानदान ही दंगों से दागदार है। 1947 ,1984 ,1990 तो एक मिसाल भर है। "बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है" जैसे कलंकित वाक्य प्रधानमन्त्री की छवि को सदा ठेस पहुंचाते ही रहेंगे।
खैर गुजरात की हार में भी अपनी पीठ पर विजयी थपकी लगाने वाले राहुल जी, तुम कितने भी जिग्नेश अल्पेश हार्दीक निकाल लो, जनता सब देख समझ रही है। आने वाले समय में तुम्हे आईना दिखा ही देगी।
जयहिन्द !!
वन्देमातरम !!