हिम्मत हर ग़ाफ़िल को गतिमान.......एक प्रेरणा !!

हिम्मत हर ग़ाफ़िल को गतिमान बना देती है.....
हिम्मत हर निर्बल को बलवान बना देती है.....
हिम्मत गर चाहे तो पत्थर को पानी कर दे......
हिम्मत हर मुश्किल को आसान बना देती है......
**************************************

हमारे देश में कुछ ऐसे नौजवान हैं जो मोदी जी से प्रेरणा ले कर अपनी हिम्मत और मेहनत से सफलता के शिखर को छू लेते हैं तो वहीँ कुछ अपनी गरीबी से दुखी हो अपना जीवन दाव पर लगा देते है और मौका दे देते हैं उन अवसर वादियों को जो ऐसी घटनाओं को राजनीतिक हथियार बना कर अराजकता फ़ैलाने लगते हैं।
**************************************
पेश है फीचर :
महाराष्‍ट्र में चाय बेचने वाले सोमनाथ गिरम ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। उन्‍होंने पिछले सप्‍ताह चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) की परीक्षा पास की और अब महाराष्‍ट्र सरकार के शिक्षा मंत्री विनोद तवाड़े ने उन्‍हें ‘अर्न एंड लर्न’ स्‍कीम का ब्रांड एंबेसेडर बनाया है।
सोमनाथ गिरम सोलापुर जिले के करमाला तालुका के रहने वाले हैं। वह सीए की पढ़ाई के लिए पैसा जुटाने के लिए चाय बेचते थे। उन्‍होंने सदाशिव पेठ में 2013 में चाय बेचना शुरू किया था। गिरम ने बताया, ‘मैंने 2010 में सीए आर्टिकलशिप किया। इसके बाद एक प्राइवेट फर्म में नौकरी की। लेकिन उसके बाद मैं सीपीटी (कॉमन प्रोफिसिएंसी टेस्‍ट) क्‍लीयर नहीं कर सका। इसलिए मुझे नौकरी छोड़नी पड़ी।’ इसके बाद पुणे में रहने और पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए गिरम ने टी-स्‍टॉल में काम करना शुरू किया। उनका कहना है कि उन्‍होंने यह सुनने के बाद ऐसा फैसला लिया कि प्रधानमंत्री पद के उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी भी कभी चाय बेचा करते थे। गिरम ने कहा, ‘मैंने सोचा कि जब चाय बेचने वाला व्‍‍यक्ति प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार बन सकता है तो मैं सीए क्‍यों नहीं बन सकता।’
दो साल तक गिरम ने चाय बेची। शुरू में उनके पास स्‍टॉल नहीं था, क्‍योंकि इसके लिए पैसे नहीं थे। बाद में उन्‍होंने सदाशिव पेठ में अपना टी-स्‍टॉल लगाया। गिरम बताते हैं, ‘पूरा दिन चाय बेचने के बाद मैं 6-7 घंटे पढ़ाई करता था।’ जब मनमाफिक नतीजा नहीं आया तो उन्‍होंने सीए की तैयारी छोड़ने की सोच ली। वह प्रोफेसर बनने के लिए एसईटी परीक्षा की तैयारी करने लगे। उन्‍होंने बताया, ‘पहले प्रयास में मैंने तीन में से दो पेपर क्‍लीयर किए। अगले प्रयास में मैं यह परीक्षा पास कर जाता। पर मैं जिंदगी में कुछ बड़ा करना चाहता था, ताकि अपने परिवार को गरीबी से निकाल सकूं।’ सोमनाथ के पिता करमाला में एक छोटे किसान हैं। उनके बड़े भाई भी खेती में पिता की मदद करते हैं। उनकी मां आर्थराइटिस की मरीज हैं। वह घर पर ही रहती हैं।
गिरम बारहवीं पास करने के बाद ही पुणे आ गए थे। 2009 में उन्‍होंने ग्रेजुएशन और 2012 में एम.कॉम किया। उन्‍होंने सीए परीक्षा 55 फीसदी अंकों के साथ पास की। हालांकि, उन्‍हें यह कामयाबी पांचवे प्रयास में मिली। अब वह पुणे में अपनी फर्म खोलना चाहते हैं। लेकिन उनका यही भी कहना है कि वह चाय बेचना तब तक जारी रखेंगे जब तक बेच सकेंगे, क्‍योंकि इससे उन्‍हें क्‍लायंट बढ़ाने में मदद मिलेगी।
‪#‎देबू_काका‬

Comments