कुत्ते को घी हज़म नहीं होता : एक कहावत
एक पुरानी कहावत है कि
" कुत्तों को घी हजम नहीं होता "
वैसे इस कहावत को नकारात्मक नजरिये से सोचने की जरूरत नहीं है लेकिन यदि इसके अर्थ पर जाएं तो निश्चित ही यह कहावत वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एकदम सटीक बैठती है।
अभी हाल ही में 2 राज्यों हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। हिमाचल विधानसभा में पिछले 5 वर्षों से सत्ता पर काबिज कांग्रेस की करारी हार हुई और भाजपा ने दो तिहाई बहुमत से कांग्रेस के हाथों से यह राज्य छीन लिया तो वहीं गुजरात में पिछले 23 सालों से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सत्ता बचा ली और लगातार छठी बार गुजरात में सरकार बनाने जा रही है।
इस चुनाव में खास बात यह रही कि सभी विपक्षी दल साम दाम दंड भेद की नीति अपनाते हुए भाजपा के खिलाफ खड़े थे और गुजरात के मतदाताओं को समुदायों में तोड़ कर गुजरात की सत्ता हथियाने की पुरजोर कोशिश में लगे थे। इन सभी नीतियों का लगातार हाशिए पर जा चुकी विपक्षी पार्टी कांग्रेस को काफी फायदा मिला और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा।
बस इसी नफा और नुकसान से उत्साहित हो विपक्षी कांग्रेस के समर्थन से नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवानी को पहली बारी ही मिली जीत अभी हजम नहीं हो रही, ऐसा लगता है।
ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है कि जब मोदी जी के खिलाफ विपक्षियों ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया हो। मोदी जी को कभी नरभक्षी तो कभी मौत का सौदागर, कभी खून का दलाल कहा गया। कोई मोदी जी की बोटी बोटी काट देने की बात कर रहा था फिर इन्हीं चुनावों के दौरान कांग्रेस के दिग्गज मणिशंकर अय्यर ने मोदी जी को नीच एवं असभ्य किस्म का व्यक्ति बताया।
लेकिन अब जब चुनाव परिणाम आ चुके हैं, कांग्रेस के समर्थन से जीते हुए उम्मीदवार जिग्नेश मेवानी अपने से लगभग दोगुनी उम्र के मोदी जी के बारे में बेहद भद्दी टिप्पणी कर डाली.....
" मोदी बुढवा हो चुके हैं और अब वह संयास लेकर हिमालय में अपनी हड्डियाँ गलाने के लिए चले जाएं, गुजरात हम जैसे युवा संभालेंगे "
जिग्नेश मेवानी ने अपने पिता तुल्य उम्र के और हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री पद पर बैठे, हिन्दुस्तान की अधिकांश जनता के दिलों में बसने वाले, साथ ही संपूर्ण विश्व में हिन्दुस्तान को गौरवान्वित करने वाले माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के बारे में जो अभद्र भाषा का प्रयोग किया है, उस से निश्चित ही हर सच्चे हिन्दुस्तानी के दिल पर ठेस लगी है।
जिग्नेश मेवानी अपने जीवन में पहली ही दफा राजनीती में उतरा और उतरते ही जीत मिलना शायद हजम नहीं हो पाया और फिर वह उपरोक्त कहावत की मानिन्द आचरण कर गया।
खैर अब मतदाताओं को काँग्रेस और उस के सहयोगियों के आचरण को समझ कर ही 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने मत का प्रयोग करना होगा।
जयहिन्द !!
दिनेश भंडुला
" कुत्तों को घी हजम नहीं होता "
वैसे इस कहावत को नकारात्मक नजरिये से सोचने की जरूरत नहीं है लेकिन यदि इसके अर्थ पर जाएं तो निश्चित ही यह कहावत वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एकदम सटीक बैठती है।
अभी हाल ही में 2 राज्यों हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए। हिमाचल विधानसभा में पिछले 5 वर्षों से सत्ता पर काबिज कांग्रेस की करारी हार हुई और भाजपा ने दो तिहाई बहुमत से कांग्रेस के हाथों से यह राज्य छीन लिया तो वहीं गुजरात में पिछले 23 सालों से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सत्ता बचा ली और लगातार छठी बार गुजरात में सरकार बनाने जा रही है।
इस चुनाव में खास बात यह रही कि सभी विपक्षी दल साम दाम दंड भेद की नीति अपनाते हुए भाजपा के खिलाफ खड़े थे और गुजरात के मतदाताओं को समुदायों में तोड़ कर गुजरात की सत्ता हथियाने की पुरजोर कोशिश में लगे थे। इन सभी नीतियों का लगातार हाशिए पर जा चुकी विपक्षी पार्टी कांग्रेस को काफी फायदा मिला और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा।
बस इसी नफा और नुकसान से उत्साहित हो विपक्षी कांग्रेस के समर्थन से नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवानी को पहली बारी ही मिली जीत अभी हजम नहीं हो रही, ऐसा लगता है।
ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है कि जब मोदी जी के खिलाफ विपक्षियों ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया हो। मोदी जी को कभी नरभक्षी तो कभी मौत का सौदागर, कभी खून का दलाल कहा गया। कोई मोदी जी की बोटी बोटी काट देने की बात कर रहा था फिर इन्हीं चुनावों के दौरान कांग्रेस के दिग्गज मणिशंकर अय्यर ने मोदी जी को नीच एवं असभ्य किस्म का व्यक्ति बताया।
लेकिन अब जब चुनाव परिणाम आ चुके हैं, कांग्रेस के समर्थन से जीते हुए उम्मीदवार जिग्नेश मेवानी अपने से लगभग दोगुनी उम्र के मोदी जी के बारे में बेहद भद्दी टिप्पणी कर डाली.....
" मोदी बुढवा हो चुके हैं और अब वह संयास लेकर हिमालय में अपनी हड्डियाँ गलाने के लिए चले जाएं, गुजरात हम जैसे युवा संभालेंगे "
जिग्नेश मेवानी ने अपने पिता तुल्य उम्र के और हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री पद पर बैठे, हिन्दुस्तान की अधिकांश जनता के दिलों में बसने वाले, साथ ही संपूर्ण विश्व में हिन्दुस्तान को गौरवान्वित करने वाले माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के बारे में जो अभद्र भाषा का प्रयोग किया है, उस से निश्चित ही हर सच्चे हिन्दुस्तानी के दिल पर ठेस लगी है।
जिग्नेश मेवानी अपने जीवन में पहली ही दफा राजनीती में उतरा और उतरते ही जीत मिलना शायद हजम नहीं हो पाया और फिर वह उपरोक्त कहावत की मानिन्द आचरण कर गया।
खैर अब मतदाताओं को काँग्रेस और उस के सहयोगियों के आचरण को समझ कर ही 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने मत का प्रयोग करना होगा।
जयहिन्द !!
दिनेश भंडुला
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