Supreme-Court order on Central-School Prayers

" असतो मा सदगमय !
तमसो मा ज्योतिर्गमय !
मृत्योर्मामृतं गमय !" प्रति दिन प्रातः काल एवं भोजन से पूर्व स्मरण मन्त्र
"ओम् सहनाववतु, सहनौ भुनक्तु: सहवीर्यं करवावहै. तेजस्विना वधीतमस्तु मा विद्विषावहै !!"
     अब वेद की ये रचनायें भी Supreme-Court में घसीट दी गई हैं। Central-School में प्रति दिन प्रातः होने वाली हिन्दी-संस्कृत की प्रार्थनाओं पर विवाद खड़ा हो गया है। पूरा विवाद केंद्रीय विद्यालयों में इन रचनाओं को दैनिक प्रार्थना में शामिल करने को लेकर है, इसी को लेकर सुप्रीम अदालत में याचिका दायर की गई है।
     आज ऐसी ही एक याचिका पर अपना निर्णय सुनाते हुए माननीय सुप्रीम न्यायालय ने केंद्र सरकार और केंद्रीय विद्यालय संगठन से पूछा कि केंद्रीय विद्यालय में रोज प्रातः संस्कृत और हिन्दी में होनी वाली प्रार्थना किसी सर्वमान्य भाषा में क्यों नहीं करवाई जा सकती ?
आज 10 जनवरी है और आज "विश्व हिन्दी दिवस" भी है। आज ही के दिन सुप्रीम अदालत का यह आदेश आना कुछ लिखने पर मजबूर कर रहा है।
     सम्पूर्ण विश्व में आज भी यदि किसी राष्ट्र में हिन्दी और संस्कृत भाषा बोली व पढ़ी जाती है तो वह राष्ट्र भारत ही है। आज जहां सम्पूर्ण विश्व के बहुत सारे राष्ट्र स्वेच्छा से हिन्दी और संस्कृत भाषा को थोड़ा ही सही लेकिन आत्मसात कर रहे हैं तो ऐसे में सुप्रीम अदालत का यह आदेश बेहद चौंकाने वाला है।
     हिन्दी और संस्कृत भाषा के प्रति वर्तमान समय में ऐसा दुर्व्यवहार होने लगा है तो प्रत्येक देशवासी के लिए हिन्दी व संस्कृत भाषा के इतिहास एवं महत्व को समझना जरूरी है।
     चीनी भाषा के बाद हिन्दी भाषा वर्तमान में विश्व भर में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। संस्कृत भाषा के अधिकतर शब्द हिन्दी भाषा में समाहित है इसलिए संस्कृत को हिन्दी भाषा का मूल कहना ही उचित होगा। संस्कृत एवं हिन्दी दोनों ही भारत की सनातनी देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं, इनके अलावा विभिन्न भारतीय राजकीय भाषाएं जैसे मराठी, कोंकणी, सिंधी, कश्मीरी, पालि, गढ़वाली, बोडो, अंगिका, मैथिली, संथाली, भोजपुरी, नेपाली आदि भाषाएं भी देवनागरी लिपि में ही लिखी जाती हैं। इस के अतिरिक्त गुजराती, पंजाबी, मणिपुरी, विष्णुपुरिया, रोमन और उर्दू में भी देवनागरी लिपि का बहुत प्रभाव है।
     वर्ष 1918 में गांधी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। इसे गांधी जी ने जनमानस की भाषा भी कहा था।
     वर्ष 1949 में स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर 14 सितंबर 1949 को काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान के 【भाग 17 के अध्याय की धारा 343(1)】 में इस प्रकार वर्णित है :
**भारत के संविधान में देवनागरी लिपि में हिन्दी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया है 【अनुच्छेद343(1)】। हिन्दी की गिनती भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल पच्चीस भाषाओं में की जाती है। भारतीय संविधान में व्यवस्था है कि केंद्र सरकार की पत्राचार की भाषा हिन्दी और अंग्रेजी होगी। यह विचार किया गया था कि 1965 तक हिन्दी पूर्णतः केंद्र सरकार के कामकाज की भाषा बन जाएगी 【अनुच्छेद 344 (2) और अनुच्छेद 351】 में वर्णित निदेशों के अनुसार, साथ में राज्य सरकारें अपनी पंसद की भाषा में कामकाज संचालित करने के लिए स्वतंत्र होंगी। लेकिन राजभाषा अधिनियम (1963) को पारित करके यह व्यवस्था की गई कि सभी सरकारी प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी का प्रयोग भी अनिश्चित काल के लिए जारी रखा जाए। अतः अब भी सरकारी दस्तावेजों, न्यायालयों आदि में अंग्रेजी का इस्तेमाल होता है। हालांकि, हिन्दी के विस्तार के संबंध में संवैधानिक निर्देश बरकरार रखा गया।**
     यह निर्णय 14 सितंबर को लिया गया, इस कारण हिन्दी दिवस के लिए इस दिन को श्रेष्ठ माना गया था।
इस के बाद विश्वभर में हिन्दी भाषा के प्रचार के लिए 10 जनवरी 1975 को नागपुर में विश्व हिन्दी सम्मेलन रखा गया था। इस सम्मेलन में 30 देशों 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। 2006 के बाद से हर 10 जनवरी को विश्वभर में विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाता है।
     आज भी भारत की लगभग 45 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दी भाषा लिखती एवं बोलती है और कुल जनसंख्या का 75 प्रतिशत हिन्दी भाषा को समझता है और Supreme-Court को यह भी ध्यान रखना होगा कि Central-School में हिन्दी प्रार्थना बहुत समय से होती रही हैं, तो ऐसे में हिन्दी भाषा के स्थान पर विद्यालयों में और कौन सी सर्वमान्य भाषा हो सकती है, यह बता पाना बहुत कठिन कार्य होगा।
     खैर देखना अब यह है कि वर्तमान बुद्धिजीवी हिन्दूस्तान की कसमो पर मर मिटने वाले भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाक, लाला लाजपत सरीखे अमर शहीदों, जयहिन्द के एक उद्दघोष पर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा देने वाले सुभाष बोस और महात्मा गाँधी हिन्दूस्तान की स्वतंत्रता में दिये गये योगदान का सम्मान किस प्रकार करते हैं ?
जयहिन्द !!
वन्देमातरम !!