साज़िशे और भी बाकि है
सत्ता में बहुत से साल बिताने के बाद "कांग्रेस पार्टी" और "समाजवादी पार्टी" सत्ता को शायद अपनी बपौती मानने लगीं हैं इसलिये अब सत्ता से बाहर होते ही तमाम विपक्षी दलो को आज सत्ता का हाथ से निकल जाना बेहद सता रहा है, ऐसा लगता है। "नरेंद्र मोदी जी" एवं "भारतीय जनता पार्टी" की लगातार बढ़ती लोकप्रियता अब विपक्ष को रास नहीं आ रही है और विरोध का कोई मुद्दा ना मिलता देख अब "साज़िश" पर उतर आये हैं।
अभी कुछ दिन पहले उतर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार के सामने आलू किसानों का प्रदर्शन हुआ था और उस में योगी जी कार्यालय घर के बाहर सड़कों पर बहुत सारा आलू फेंका गया, जिस पर विपक्ष में बैठे समाजवादी और काँग्रेस पार्टी ने इसे किसानों की नाराजगी का नाम दे कर काफी बवाल मचाया था। आज आलू फेंक कर बवाल मचाने वालो को जब गिरफ्तार किया और पूछताछ की तो वे दोनों समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता निकले लेकिन किसान नहीं हैं।
ऐसा नहीं कि इस तरह के तथाकथित बवाल पहले नहीं हुए। अभी गत वर्ष नवम्बर दिसम्बर में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव से पहले भी ऐसे ही हथकण्डे अपना कर पटेल दलित के नाम पर गुजरात का माहौल खराब किया गया था और इन बवालो का कुछ फायदा भी काँग्रेस लेने में कामयाब रही हालाँकि पटेलो ने मोदी जी पक्ष में मजबूती के साथ खड़े रह इस साज़िश को काफी हद तक नाकाम कर दिया था, जैसा पटेल बहुल क्षेत्र में आने वाले चुनाव परिणाम से साफ हो गया। करीब एक साल पहले मध्यप्रदेश में भी किसानों के आंदोलन की आड़ में बहुत हुड़दंग मचाया गया था और आगजनी को अंजाम दिया था लेकिन जब काँग्रेस के विधायकों द्वारा भड़काऊ वीडियो सामने आये तो शिवराज सिंह चौहान जी की भारतीय जनता पार्टी की सरकार के विरुद्ध काँग्रेस की इस साज़िश का पर्दाफाश होते देर नहीं लगी। आसाम में भी ऐसा हो चुका है।
काँग्रेस के राहुल गाँधी जिस ने भारतीय जनता पार्टी शासित सभी राज्यो में भाजपा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया हुआ है और इसी क्रम में राहुल कभी माथे पर हल्दी चन्दन पोत, कोट पर जनेऊ धर जन्मजात हिन्दू बन जाता है, कभी किसानों का हितैषी बन पदयात्रा करता नजर आता है तो कभी RSS, BJP को देशद्रोही कह कर खुद को शहीद देशभक्त का पैरोकार बताता फिरता है, इन सब की कहानी काँग्रेस शासित राज्यों में किसानों और शहीदों की बदहाली बयाँ कर रही है।
काँग्रेस के कर्नाटक के मुख्यमन्त्री सिद्धारमैया ने पूरे हिन्दू और हिन्दुत्त्व को आतंकी करार दे दिया लेकिन जनेऊधारी जन्मजात हिन्दू राहुल गाँधी के मुख से अभी तक एक भी सफाई का ना आना राहुल गाँधी के हिन्दुत्त्व के चोले को हवा कर दिया। इतना ही नहीं कर्नाटक में पिछले वर्ष सर्वाधिक किसानों ने आत्महत्या की और अभी दो दिन पूर्व ही काँग्रेस शासित राज्य पंजाब में अमर शहीद उधम सिंह जी के पौत्र गुरुदेव सिंह संधू ने आत्महत्या कर ली, गुरुदेव सिंह एक किसान था और कर्ज के लगातार बढ़ते दबाव से परेशान था। इन सभी घटनाओं से काँग्रेस के इस चेहरे से नकाब उठ जाता है कि काँग्रेस किसानों और शहीदों की कितनी हितैषी है।
खैर जनता अब यह सब देख रही है और जानती समझती है कि आने वाले सभी चुनावो में "कांग्रेस पार्टी" सहित सभी विपक्षी दलों को कैसे सबक सिखाना है और उन की "साज़िश" को नाकाम करना है।
जयहिन्द !!
वन्देमातरम !!
अभी कुछ दिन पहले उतर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार के सामने आलू किसानों का प्रदर्शन हुआ था और उस में योगी जी कार्यालय घर के बाहर सड़कों पर बहुत सारा आलू फेंका गया, जिस पर विपक्ष में बैठे समाजवादी और काँग्रेस पार्टी ने इसे किसानों की नाराजगी का नाम दे कर काफी बवाल मचाया था। आज आलू फेंक कर बवाल मचाने वालो को जब गिरफ्तार किया और पूछताछ की तो वे दोनों समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता निकले लेकिन किसान नहीं हैं।
ऐसा नहीं कि इस तरह के तथाकथित बवाल पहले नहीं हुए। अभी गत वर्ष नवम्बर दिसम्बर में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव से पहले भी ऐसे ही हथकण्डे अपना कर पटेल दलित के नाम पर गुजरात का माहौल खराब किया गया था और इन बवालो का कुछ फायदा भी काँग्रेस लेने में कामयाब रही हालाँकि पटेलो ने मोदी जी पक्ष में मजबूती के साथ खड़े रह इस साज़िश को काफी हद तक नाकाम कर दिया था, जैसा पटेल बहुल क्षेत्र में आने वाले चुनाव परिणाम से साफ हो गया। करीब एक साल पहले मध्यप्रदेश में भी किसानों के आंदोलन की आड़ में बहुत हुड़दंग मचाया गया था और आगजनी को अंजाम दिया था लेकिन जब काँग्रेस के विधायकों द्वारा भड़काऊ वीडियो सामने आये तो शिवराज सिंह चौहान जी की भारतीय जनता पार्टी की सरकार के विरुद्ध काँग्रेस की इस साज़िश का पर्दाफाश होते देर नहीं लगी। आसाम में भी ऐसा हो चुका है।
काँग्रेस के राहुल गाँधी जिस ने भारतीय जनता पार्टी शासित सभी राज्यो में भाजपा के खिलाफ आंदोलन शुरू किया हुआ है और इसी क्रम में राहुल कभी माथे पर हल्दी चन्दन पोत, कोट पर जनेऊ धर जन्मजात हिन्दू बन जाता है, कभी किसानों का हितैषी बन पदयात्रा करता नजर आता है तो कभी RSS, BJP को देशद्रोही कह कर खुद को शहीद देशभक्त का पैरोकार बताता फिरता है, इन सब की कहानी काँग्रेस शासित राज्यों में किसानों और शहीदों की बदहाली बयाँ कर रही है।
काँग्रेस के कर्नाटक के मुख्यमन्त्री सिद्धारमैया ने पूरे हिन्दू और हिन्दुत्त्व को आतंकी करार दे दिया लेकिन जनेऊधारी जन्मजात हिन्दू राहुल गाँधी के मुख से अभी तक एक भी सफाई का ना आना राहुल गाँधी के हिन्दुत्त्व के चोले को हवा कर दिया। इतना ही नहीं कर्नाटक में पिछले वर्ष सर्वाधिक किसानों ने आत्महत्या की और अभी दो दिन पूर्व ही काँग्रेस शासित राज्य पंजाब में अमर शहीद उधम सिंह जी के पौत्र गुरुदेव सिंह संधू ने आत्महत्या कर ली, गुरुदेव सिंह एक किसान था और कर्ज के लगातार बढ़ते दबाव से परेशान था। इन सभी घटनाओं से काँग्रेस के इस चेहरे से नकाब उठ जाता है कि काँग्रेस किसानों और शहीदों की कितनी हितैषी है।
खैर जनता अब यह सब देख रही है और जानती समझती है कि आने वाले सभी चुनावो में "कांग्रेस पार्टी" सहित सभी विपक्षी दलों को कैसे सबक सिखाना है और उन की "साज़िश" को नाकाम करना है।
जयहिन्द !!
वन्देमातरम !!