कोरेगाँव महाराष्ट्र हिंसा में साज़िश की बू...
मोदी जी ने सब का साथ सब का विकास की नीति से गुजरात पर 13 साल तक सफल राज किया और इसी गुजरात मॉडल को हिन्दुस्तान की जनता ने देखा और समझा फिर मोदी जी को प्रचण्ड बहुमत के साथ जनता ने 2014 लोकसभा में प्रधानमन्त्री बना दिया।
मोदी जी भी अपने वायदे के मुताबिक हिन्दुस्तान को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर एक विशेष पहचान दिलाने में अग्रसर होते चले जा रहे थे तो साथ ही जनता को कुछ कड़वी दवा भी पिला रहे थे, बावजूद इस के जनता ने नोटबन्दी और GST जैसे सख्त कदम के बाद भी हर स्तर के चुनाव में शानदार जीत को जारी रखा।
इस से बौखलाई काँग्रेस ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिये कोई और रास्ता मिलता ना देख यही पुराना अंग्रेजों वाला रास्ता अपनाना शुरू कर दिया यानि " फूट डालो राज करो " और इसी नीति को काँग्रेस ने गुजरात विधानसभा में अपनाया और तीन अलग अलग धड़ो में वोट बैंक को बाँट कर अपनी राजनितिक रोटियाँ सेकने में काफी हद तक कामयाबी पाई।
अब काँग्रेस इसी कुटिल नीति को और राज्यों के आने वाले विधानसभा चुनावों में भी अपनाना चाहती है ताकि भाजपा की जीत रथ को रोका जा सके।
अब कोरेगांव के जश्न और उपद्रव में काँग्रेस की उपस्थिति को नकारा नहीं जा सकता क्योंकि इस जश्न में शामिल दो चेहरे जो भाषणबाज़ी करने कोरेगांव गये थे, उस में से एक जिग्नेश मेवानी गुजरात विधानसभा चुनाव काँग्रेस के समर्थन से लड़ा और जीता भी, तो वहीं दूसरी तरफ उमर खालिद जो JNU में देश विरोधी नारे लगाता नजर आया था और जब मोदी सरकार ने इन के खिलाफ कारवाही की तो रात में ही दो नेता इन के समर्थन में भागे भागे गये थे, वे थे राहुल गाँधी और अरविन्द केजरीवाल... यही राहुल गाँधी वर्तमान में काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है।
खैर अब ये समझना मुश्किल ना होगा कि काँग्रेस किस तरह अप्रत्यक्ष रूप से अपने मोहरे भेज कर आने वाले विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गयी है। आमजन को काँग्रेस की इस कुटिल चाल को समझना होगा और अपने विवेक से मतदान करना होगा।
जयहिन्द !!
वन्देमातरम !!
मोदी जी भी अपने वायदे के मुताबिक हिन्दुस्तान को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर एक विशेष पहचान दिलाने में अग्रसर होते चले जा रहे थे तो साथ ही जनता को कुछ कड़वी दवा भी पिला रहे थे, बावजूद इस के जनता ने नोटबन्दी और GST जैसे सख्त कदम के बाद भी हर स्तर के चुनाव में शानदार जीत को जारी रखा।
इस से बौखलाई काँग्रेस ने अपने अस्तित्व को बचाने के लिये कोई और रास्ता मिलता ना देख यही पुराना अंग्रेजों वाला रास्ता अपनाना शुरू कर दिया यानि " फूट डालो राज करो " और इसी नीति को काँग्रेस ने गुजरात विधानसभा में अपनाया और तीन अलग अलग धड़ो में वोट बैंक को बाँट कर अपनी राजनितिक रोटियाँ सेकने में काफी हद तक कामयाबी पाई।
अब काँग्रेस इसी कुटिल नीति को और राज्यों के आने वाले विधानसभा चुनावों में भी अपनाना चाहती है ताकि भाजपा की जीत रथ को रोका जा सके।
अब कोरेगांव के जश्न और उपद्रव में काँग्रेस की उपस्थिति को नकारा नहीं जा सकता क्योंकि इस जश्न में शामिल दो चेहरे जो भाषणबाज़ी करने कोरेगांव गये थे, उस में से एक जिग्नेश मेवानी गुजरात विधानसभा चुनाव काँग्रेस के समर्थन से लड़ा और जीता भी, तो वहीं दूसरी तरफ उमर खालिद जो JNU में देश विरोधी नारे लगाता नजर आया था और जब मोदी सरकार ने इन के खिलाफ कारवाही की तो रात में ही दो नेता इन के समर्थन में भागे भागे गये थे, वे थे राहुल गाँधी और अरविन्द केजरीवाल... यही राहुल गाँधी वर्तमान में काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है।
खैर अब ये समझना मुश्किल ना होगा कि काँग्रेस किस तरह अप्रत्यक्ष रूप से अपने मोहरे भेज कर आने वाले विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गयी है। आमजन को काँग्रेस की इस कुटिल चाल को समझना होगा और अपने विवेक से मतदान करना होगा।
जयहिन्द !!
वन्देमातरम !!