तिरंगे_के_सम्मान_की_सज़ा !!!
चन्दन राहुल.....
ये कोई मात्र एक नाम नहीं बल्कि एक विचारधारा थी, है और सदा रहेगी क्योंकि चन्दन ने भी वही सब किया था ना, जो आज़ादी से पहले ना जाने कितने लोगों ने किया था। हिन्दुस्तान के तिरंगे को ऊँचा रखने के लिए ना जाने कितने वीरों ने वन्देमातरम उद्दघोष के साथ अपना जीवन बलिदान कर दिया और ये विचारधारा कासगंज के इन युवाओं की ही नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के हर सच्चे नागरिक की भी है। लेकिन इस विचारधारा का दुर्भाग्य यही रहता आया है कि समय समय पर इस विचारधारा को इसी तरह कुचला गया है।
1947 से पहले भी और बाद में भी.....
हमारे कानून सविंधान में तिरंगे को सम्मान देना और वन्देमातरम बोलना कोई अपराध नहीं तो फिर शान्तिपूर्ण तरीके से राष्ट्रवादी हिन्दुओं चन्दन गुप्ता और राहुल उपाध्याय को ऐसा करने पर मौत क्यों ?
आखिर क्यों चुप है शासन प्रशासन ?
कब मिलेगी सज़ा इन निर्दोषों के हत्यारों को ?
क्या आज भी वही 1947 की तरह तिरंगे के सम्मान के लिये अपनी जान देने वाले भगत सरीखे आतंकी कहलायेंगे और नेहरू गाँधी इस हिन्दुस्तान के चाचा बापू बन जायेंगे ??
नहीं अब ऐसा नहीं होने दिया जा सकता।
हमारे सैनिकों पर पत्थरबाज़ी करने वालों को मासूम बता कर उन का बचाव करने वाले, एक आतंकी की फाँसी रुकवाने के लिए रात भर अदालत खुलवाने वाले, बात बात असहिष्णुता के नाम पर डर कर देश छोड़ कर जाने वाले और अपने तथाकथित अवार्ड लौटाने वाले कुकुरमुते, अब नहीं निकलेंगे।
दावोस में जब से हिन्दुस्तान को सब से विकासशील अर्थव्यवस्था माना गया और विदेशी निवेशकों के लिए अनुकूल व्यापारिक माहौल वाला बताया गया, ठीक उसी दिन से फिर बेवजह दंगों को भड़काया जा रहा है ताकि यही खून खराबे की तस्वीर दुनिया में पहुँचे और विदेशी इस धरती पर कदम रखने से कतराने लगें। कुछ विरोधी फिर से सत्ता पाने के लालच में यही सब कुछ करना चाहते हैं। इसलिए अब मोदी सरकार को देश विरोधी गतिविधियों में लगे ऐसे लोगों पर दण्डात्मक कारवाही करनी ही होगी। मोदी जी हर राष्ट्रवादी हिन्दू आप के साथ था, है और रहेगा।
खैर अब केंद्र सरकार और प्रशासन को चाहिये कि तिरंगे के सम्मान में अपनी जान देने वाले शहीदों को 1-1 करोड़ रु बतौर मुआवजा दिया जाये और हत्यारों को जल्द ही पहचान कर कठोर से कठोर सजा दी जावे ताकि तिरंगे के सम्मान और अपमान करने वालो को एक सन्देश मिल सके।
जयहिन्द !!
वन्देमातरम !!
ये कोई मात्र एक नाम नहीं बल्कि एक विचारधारा थी, है और सदा रहेगी क्योंकि चन्दन ने भी वही सब किया था ना, जो आज़ादी से पहले ना जाने कितने लोगों ने किया था। हिन्दुस्तान के तिरंगे को ऊँचा रखने के लिए ना जाने कितने वीरों ने वन्देमातरम उद्दघोष के साथ अपना जीवन बलिदान कर दिया और ये विचारधारा कासगंज के इन युवाओं की ही नहीं बल्कि हिन्दुस्तान के हर सच्चे नागरिक की भी है। लेकिन इस विचारधारा का दुर्भाग्य यही रहता आया है कि समय समय पर इस विचारधारा को इसी तरह कुचला गया है।
1947 से पहले भी और बाद में भी.....
हमारे कानून सविंधान में तिरंगे को सम्मान देना और वन्देमातरम बोलना कोई अपराध नहीं तो फिर शान्तिपूर्ण तरीके से राष्ट्रवादी हिन्दुओं चन्दन गुप्ता और राहुल उपाध्याय को ऐसा करने पर मौत क्यों ?
आखिर क्यों चुप है शासन प्रशासन ?
कब मिलेगी सज़ा इन निर्दोषों के हत्यारों को ?
क्या आज भी वही 1947 की तरह तिरंगे के सम्मान के लिये अपनी जान देने वाले भगत सरीखे आतंकी कहलायेंगे और नेहरू गाँधी इस हिन्दुस्तान के चाचा बापू बन जायेंगे ??
नहीं अब ऐसा नहीं होने दिया जा सकता।
हमारे सैनिकों पर पत्थरबाज़ी करने वालों को मासूम बता कर उन का बचाव करने वाले, एक आतंकी की फाँसी रुकवाने के लिए रात भर अदालत खुलवाने वाले, बात बात असहिष्णुता के नाम पर डर कर देश छोड़ कर जाने वाले और अपने तथाकथित अवार्ड लौटाने वाले कुकुरमुते, अब नहीं निकलेंगे।
दावोस में जब से हिन्दुस्तान को सब से विकासशील अर्थव्यवस्था माना गया और विदेशी निवेशकों के लिए अनुकूल व्यापारिक माहौल वाला बताया गया, ठीक उसी दिन से फिर बेवजह दंगों को भड़काया जा रहा है ताकि यही खून खराबे की तस्वीर दुनिया में पहुँचे और विदेशी इस धरती पर कदम रखने से कतराने लगें। कुछ विरोधी फिर से सत्ता पाने के लालच में यही सब कुछ करना चाहते हैं। इसलिए अब मोदी सरकार को देश विरोधी गतिविधियों में लगे ऐसे लोगों पर दण्डात्मक कारवाही करनी ही होगी। मोदी जी हर राष्ट्रवादी हिन्दू आप के साथ था, है और रहेगा।
खैर अब केंद्र सरकार और प्रशासन को चाहिये कि तिरंगे के सम्मान में अपनी जान देने वाले शहीदों को 1-1 करोड़ रु बतौर मुआवजा दिया जाये और हत्यारों को जल्द ही पहचान कर कठोर से कठोर सजा दी जावे ताकि तिरंगे के सम्मान और अपमान करने वालो को एक सन्देश मिल सके।
जयहिन्द !!
वन्देमातरम !!