क्या कानून वास्तव में अँधा हो सकता है ?

कल दिल्ली की एक अदालत का फैसला आया, जिस में यूपीए सरकार के पूर्व मंत्री डी. राजा एवं पूर्व राज्यसभा सांसद कनीमोझी को बाइज्जत बरी कर दिया गया।  
          2G स्पेक्ट्रम के नाम से चर्चित यह घोटाला 176000 करोड रुपए का था, जिसमें आरोप था कि तत्कालीन मंत्री डी. राजा ने सन 2008 में सन 2001के मूल्यों के आधार पर मनमाने ढंग से ठेका आवंटित कर देश को 176000 करोड़ रूपये की चपत लगाई थी लेकिन आज 18 साल बाद अदालत द्वारा सबूतो और गवाहों के आभाव में दिया गया ये फैसला बेहद चौकाने वाला है।
           इस फैसले के खिलाफ निश्चित ही CBI फिर से ऊपरी अदालत में जायेगी और शायद फिर कुछ और साल ये मामला यूँ ही लटकता रहे लेकिन इस फैसले से जाँच एजेंसियों और अदालत के कामकाज पर सवालिया निशान जरूर लगता है और साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ और भी बहुत से केसों में आरोपियों को बचने के रास्ते मिल जायेंगे।
           ऐसे ही एक मामले की बात करूंगा जिस में आरोपी साफ साफ बच निकल सकते हैं। वेसे भी ये मामला अपने आप में बेहद रोचक है, जिस की संक्षिप्त चर्चा करना चाहूंगा।
           बात 1930 में जवाहरलाल नेहरू द्वारा शुरू किए गए अखबार "नेशनल हेराल्ड" की है जो वर्तमान में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस और कांग्रेस पर आकर टिकी हुई है। नेहरू द्वारा शुरू किए गए अखबार नेशनल हेराल्ड ने धीरे-धीरे अपनी संपत्ति 5000 करोड़ की कर ली लेकिन सन 2000 में यह अखबार 90 करोड़ रुपए के कर्ज में डूब गया फिर इस अखबार के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मोतीलाल वोरा शामिल थे, ने निर्णय लिया कि इसे "यंग इंडिया" को बेच दिया जाए और यंग इंडिया के डायरेक्टर बोर्ड जिसने भी मोतीलाल वोरा थे, इस करार पर सहमत हो गई कि यंग इंडिया नेशनल हेराल्ड के 90 करोड़ रुपए के कर्ज को चुका कर नेशनल हेराल्ड की सम्पत्ति की मालिक हो जायेगी। लेकिन यहाँ एक विचित्र बात थी कि यंग इण्डिया के पास 90 करोड़ रूपये नहीं थे, तब उसने काँग्रेस से ऋण लेने का निर्णय लिया। फिर कांग्रेस की वर्किंग कमेटी जिसमें उसके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और कोषाध्यक्ष ने भाग लिया और मजे की बात है कि इस वर्किंग कमेटी में भी लगभग यही चेहरे सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा शामिल थे जो कि यंग इंडिया को कर्ज देने पर सहमत हो गई और फिर खेल शुरू हुआ एक बड़ी ही मजेदार कारवाही का........
          अब नेशनल हेराल्ड के बोर्ड डायरेक्टर मोतीलाल वोरा ने यंग इंडिया के बोर्ड डायरेक्टर मोतीलाल वोरा के समक्ष अपना प्रस्ताव रखा उसके बाद यंग इंडिया के मोतीलाल वोरा ने कर्ज लेने के लिए कांग्रेस की वर्किंग कमेटी से संपर्क साधा जिसे कांग्रेस की वर्किंग कमेटी ने यंग इंडिया को कर्ज देने के लिए अपनी सहमति जताई और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा द्वारा यंग इण्डिया के मोतीलाल वोरा के कहने पर नेशनल हेराल्ड के मोतीलाल वोरा को कर्ज दे दिया। बाद में कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड के आज़ादी में योगदान को देखते हुए इस कर्ज को माफ़ कर दिया गया और इस तरह से नेशनल हेराल्ड की 5000 करोड़ की स्थायी सम्पति पर सोनिया और राहुल गाँधी का अधिकार हो गया और यही सम्पति आज गाँधी परिवार की किराये के रूप में बहुत बड़ी आय का साधन है।
         अब यही मामला अदालत में विचाराधीन है और सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं। अगर इस मामले में एक शख्स कांग्रेस का मोतीलाल वोरा मुकर जाये कि उस ने कोई कर्ज दिया ही नहीं और दूसरी तरफ यंग इण्डिया का मोतीलाल वोरा कहेगा मैंने इस तरह कोई डील नहीं की फिर नेशनल हेराल्ड का मोतीलाल वोरा भी कह देगा कि मुझे कोई कर्ज मिला ही नहीं, बस इसी गफलत में ये केस भी रफा दफा हो जायेगा और सभी आरोपी बाइज्जत बरी हो जायेंगे।
           खैर कानून खुद समझदार है, वह अपना काम अपने तरीके से करता रहेगा।
जयहिन्द !!

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