गुजरात का चुनावी दंगल
कल 9 दिसंबर को गुजरात के पहले चरण के मतदान शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया।
89 सीटों के लिए हुए मतदान के पहले चरण में औसत 68 प्रतिशत रहा।
मतदान के दौरान कुछ जगहों पर जो ईवीएम मशीन ठीक से काम नहीं कर पा रही थी, उन मशीनों को चुनाव आयोग ने समय रहते अतिरिक्त मशीनें भेजकर मतदान को भलीभांति संपन्न करवाया।
मतदान के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया मैं चुनाव आयोग से शिकायत की कि ईवीएम मशीन ब्लूटूथ के जरिए बाहर से संचालित की जा रही है। जिस पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। अभी हाल ही में संपन्न हुए यूपी के चुनाव में भी परिणाम आने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों ने भाजपा की प्रचंड जीत और अपनी लज्जाजनक पराजय के चलते भाजपा द्वारा ईवीएम मशीन में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगाया था जिस पर चुनाव आयोग ने सभी विपक्षी दलों को तय समय सीमा के अंदर सार्वजनिक रूप से ईवीएम को हैक करके दिखाने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन कोई भी राजनीतिक दल ने चुनाव आयोग के इस चैलेंज को स्वीकार ही नहीं किया। वास्तव में जब विशेषज्ञों की राय ली गई तू विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी ईवीएम मशीन को हैक कर पाना बहुत ही जटिल एवं लंबा कार्य है और साथ ही किसी भी ईवीएम मशीन को किसी भी मोबाइल डिवाइस से ब्लूटूथ के जरिए कनेक्ट कर पाना लगभग नामुमकिन ही है फिर भी इतना सब कुछ होने के बावजूद भी पुनः ईवीएम गड़बड़ी का मसला उठाकर कहीं हार के उस डर से बचने के प्रयास में तो नहीं जुट गई। लगता है कांग्रेस को अपनी हार का आभास अभी से हो चुका है।
वहीं दूसरी ओर आज कांग्रेस के नेता चरण सिंह सापरा ने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर 1992 के गोधरा दंगों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए जामा मस्जिद में उपस्थित होकर मुस्लिम समुदाय से माफी मांगने की मांग कर डाली। शायद चरण सिंह सापरा यह भूल गये कि यूपीए ने अपने शासन के दौरान मोदी जी पर सभी तरह की जाँच कमेटियां बिठाई थी, उस के बावजूद मोदी जी सभी तरह की जाँच में निर्दोष साबित हो चुके हैं तो फिर माफ़ी माँगने का प्रश्न उठाना बेमानी ही है। विकास के मुद्दों पर पिछड़ चुकी काँग्रेस फिर से गुजरात चुनाव के अंतिम चरण में साम्प्रदायिकता का जामा पहना कर आखिर क्या करना चाहती है, जो समझ से परे है।
जयहिन्द !!
89 सीटों के लिए हुए मतदान के पहले चरण में औसत 68 प्रतिशत रहा।
मतदान के दौरान कुछ जगहों पर जो ईवीएम मशीन ठीक से काम नहीं कर पा रही थी, उन मशीनों को चुनाव आयोग ने समय रहते अतिरिक्त मशीनें भेजकर मतदान को भलीभांति संपन्न करवाया।
मतदान के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडिया मैं चुनाव आयोग से शिकायत की कि ईवीएम मशीन ब्लूटूथ के जरिए बाहर से संचालित की जा रही है। जिस पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। अभी हाल ही में संपन्न हुए यूपी के चुनाव में भी परिणाम आने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों ने भाजपा की प्रचंड जीत और अपनी लज्जाजनक पराजय के चलते भाजपा द्वारा ईवीएम मशीन में गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगाया था जिस पर चुनाव आयोग ने सभी विपक्षी दलों को तय समय सीमा के अंदर सार्वजनिक रूप से ईवीएम को हैक करके दिखाने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन कोई भी राजनीतिक दल ने चुनाव आयोग के इस चैलेंज को स्वीकार ही नहीं किया। वास्तव में जब विशेषज्ञों की राय ली गई तू विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी ईवीएम मशीन को हैक कर पाना बहुत ही जटिल एवं लंबा कार्य है और साथ ही किसी भी ईवीएम मशीन को किसी भी मोबाइल डिवाइस से ब्लूटूथ के जरिए कनेक्ट कर पाना लगभग नामुमकिन ही है फिर भी इतना सब कुछ होने के बावजूद भी पुनः ईवीएम गड़बड़ी का मसला उठाकर कहीं हार के उस डर से बचने के प्रयास में तो नहीं जुट गई। लगता है कांग्रेस को अपनी हार का आभास अभी से हो चुका है।
वहीं दूसरी ओर आज कांग्रेस के नेता चरण सिंह सापरा ने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर 1992 के गोधरा दंगों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए जामा मस्जिद में उपस्थित होकर मुस्लिम समुदाय से माफी मांगने की मांग कर डाली। शायद चरण सिंह सापरा यह भूल गये कि यूपीए ने अपने शासन के दौरान मोदी जी पर सभी तरह की जाँच कमेटियां बिठाई थी, उस के बावजूद मोदी जी सभी तरह की जाँच में निर्दोष साबित हो चुके हैं तो फिर माफ़ी माँगने का प्रश्न उठाना बेमानी ही है। विकास के मुद्दों पर पिछड़ चुकी काँग्रेस फिर से गुजरात चुनाव के अंतिम चरण में साम्प्रदायिकता का जामा पहना कर आखिर क्या करना चाहती है, जो समझ से परे है।
जयहिन्द !!
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