गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 : एक नजर
गुजरात में विधानसभा के चुनाव की बिसात लगभग बिछ चुकी है।
पहले चरण का मतदान 9 दिसंबर को 19 जिलों की 89 सीटें
कच्छ, जूनागढ़, मोरबी, भावनगर, जामनगर, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, नवसारी , गिर सोमनाथ, अमरेली, राजकोट, बोटाड, नर्मदा, भडूच, सूरत, तापी, डांग, सुरेंद्रनगर, वलसाड में और दूसरे व अंतिम चरण का मतदान 14 दिसंबर को 14 जिलों की 93 सीटें
अहमदाबाद, बनासकांठा, आनन्द, महेसाणा, साबरकांठा, अरवल्ली, गांधीनगर, महीसागर, खेड़ा, पाटन, पंचमहल, दाहोद, वड़ोदरा, छोटा उदैपुर को होना है।
सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी ताकत झौंक चुके हैं और मैदान में बाजी जीतने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाने में लगे हैं। कोई जनेऊधारी बन मंदिरों के चक्कर लगा रहा है तो कोई अपनी विकास गाथा सुना रहा है।
लगभग 22 सालों के भारतीय जनता पार्टी के शासन में अपना वर्चस्व खो चुकी कांग्रेस ने जहाँ एक ओर अपने धर्म और जाति के पत्ते फेंके हैं वहीं दूसरी तरफ भाजपा अपनी केंद्र सरकार के नोटबन्दी व GST जैसे कड़े फैसलों का विरोध झेलती हुई अपनी बाज़ी संवारने में लगी है।
वास्तविक स्थिति क्या है, यह तो 18 दिसम्बर को होने वाली मतगणना ही बतायेगी लेकिन विभिन्न टीवी चैनल और समाचार एजेंसियाँ चुनाव पूर्व अपने अपने ओपिनियन पोल के जरिये जनमानस के मन को टटोल एक तस्वीर रखने के प्रयास में लगी हैं।
एक टीवी चैनल ने भारतीय जनता पार्टी के पटेल और आदिवासी परंपरागत वोटो में कांग्रेस की सेंधमारी को दर्शाया है और GST को लेकर भाजपा के व्यापारी वोटर्स में भी नाराजगी जाहिर की है।
हालांकि पटेल समाज का झुकाव गत अगस्त माह की अपेक्षा नवंबर माह में पुनः भाजपा की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है लेकिन व्यापारी वर्ग में 40% की अपेक्षा 43% से कांग्रेस आगे दिखाई दे रही है। आदिवासी और दलित जाति के मतदाता जहां कांग्रेस की तरफ लगभग 18% अधिक झुकते नजर आ रहे हैं वहीं स्वर्ण व कोली जाति के मतदाता 26% अधिक भाजपा के साथ हैं।
इन चुनाव में काँग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं हैं, जो नुकसान होगा वह सत्ताधारी भाजपा को ही होना है। यदि उपरोक्त चैनल की माने तो वर्तमान में 115 सीट के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा थोड़े नुकसान के बावजूद 182 सीट वाली विधानसभा में 95 सीट के साथ सरकार बनाने में फिर से कामयाब होगी और काँग्रेस को एक बार फिर 82 सीट के साथ विपक्ष में बैठना पड़ सकता है और 5 सीट अन्य के पक्ष में जाती दिख रही हैं।
अन्य समाचार एजेंसियों की माने तो लगभग सभी 115 -118 और 125 -131 सीट के साथ भारतीय जनता पार्टी की पुनः मजबूत सरकार बनने का दावा कर रहे हैं।
हालाँकि 6 करोड़ मतदाताओं वाले गुजरात में 5-7 हजार मतदाताओं पर किया गया सर्वे वास्तविक दशा तो पेश नहीं कर पायेगा लेकिन पिछले सर्वो को देखते हुए ये सर्वे विभिन्न राजनीतिक दलों को एक दिशा जरूर दिखाता है।
खैर परिणाम जो भी हो वह तो 18 दिसम्बर को ही साफ होगा लेकिन यह चुनाव भाजपा और काँग्रेस दोनों के लिए 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल साबित होगा। खासकर नरेंद्र मोदी जी के लिए , जिन्होंने 13 साल लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री रह कर अशांत और बदहाल गुजरात को शांति, समृद्धि और विकास की राह दिखाई और इसी गुजरात मॉडल ने मोदी जी को प्रचण्ड और ऐतिहासिक बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता का सरताज बनाया और साथ ही ये भी देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव में 44 लोकसभा सीट के साथ मृतप्रायः सी काँग्रेस को संजीवनी मिल पाती है या नहीं !!
जयहिन्द !!
वन्देमातरम !!
दिनेश भंडुला
पहले चरण का मतदान 9 दिसंबर को 19 जिलों की 89 सीटें
कच्छ, जूनागढ़, मोरबी, भावनगर, जामनगर, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, नवसारी , गिर सोमनाथ, अमरेली, राजकोट, बोटाड, नर्मदा, भडूच, सूरत, तापी, डांग, सुरेंद्रनगर, वलसाड में और दूसरे व अंतिम चरण का मतदान 14 दिसंबर को 14 जिलों की 93 सीटें
अहमदाबाद, बनासकांठा, आनन्द, महेसाणा, साबरकांठा, अरवल्ली, गांधीनगर, महीसागर, खेड़ा, पाटन, पंचमहल, दाहोद, वड़ोदरा, छोटा उदैपुर को होना है।
सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी ताकत झौंक चुके हैं और मैदान में बाजी जीतने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाने में लगे हैं। कोई जनेऊधारी बन मंदिरों के चक्कर लगा रहा है तो कोई अपनी विकास गाथा सुना रहा है।
लगभग 22 सालों के भारतीय जनता पार्टी के शासन में अपना वर्चस्व खो चुकी कांग्रेस ने जहाँ एक ओर अपने धर्म और जाति के पत्ते फेंके हैं वहीं दूसरी तरफ भाजपा अपनी केंद्र सरकार के नोटबन्दी व GST जैसे कड़े फैसलों का विरोध झेलती हुई अपनी बाज़ी संवारने में लगी है।
वास्तविक स्थिति क्या है, यह तो 18 दिसम्बर को होने वाली मतगणना ही बतायेगी लेकिन विभिन्न टीवी चैनल और समाचार एजेंसियाँ चुनाव पूर्व अपने अपने ओपिनियन पोल के जरिये जनमानस के मन को टटोल एक तस्वीर रखने के प्रयास में लगी हैं।
एक टीवी चैनल ने भारतीय जनता पार्टी के पटेल और आदिवासी परंपरागत वोटो में कांग्रेस की सेंधमारी को दर्शाया है और GST को लेकर भाजपा के व्यापारी वोटर्स में भी नाराजगी जाहिर की है।
हालांकि पटेल समाज का झुकाव गत अगस्त माह की अपेक्षा नवंबर माह में पुनः भाजपा की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है लेकिन व्यापारी वर्ग में 40% की अपेक्षा 43% से कांग्रेस आगे दिखाई दे रही है। आदिवासी और दलित जाति के मतदाता जहां कांग्रेस की तरफ लगभग 18% अधिक झुकते नजर आ रहे हैं वहीं स्वर्ण व कोली जाति के मतदाता 26% अधिक भाजपा के साथ हैं।
इन चुनाव में काँग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं हैं, जो नुकसान होगा वह सत्ताधारी भाजपा को ही होना है। यदि उपरोक्त चैनल की माने तो वर्तमान में 115 सीट के साथ सत्ता पर काबिज भाजपा थोड़े नुकसान के बावजूद 182 सीट वाली विधानसभा में 95 सीट के साथ सरकार बनाने में फिर से कामयाब होगी और काँग्रेस को एक बार फिर 82 सीट के साथ विपक्ष में बैठना पड़ सकता है और 5 सीट अन्य के पक्ष में जाती दिख रही हैं।
अन्य समाचार एजेंसियों की माने तो लगभग सभी 115 -118 और 125 -131 सीट के साथ भारतीय जनता पार्टी की पुनः मजबूत सरकार बनने का दावा कर रहे हैं।
हालाँकि 6 करोड़ मतदाताओं वाले गुजरात में 5-7 हजार मतदाताओं पर किया गया सर्वे वास्तविक दशा तो पेश नहीं कर पायेगा लेकिन पिछले सर्वो को देखते हुए ये सर्वे विभिन्न राजनीतिक दलों को एक दिशा जरूर दिखाता है।
खैर परिणाम जो भी हो वह तो 18 दिसम्बर को ही साफ होगा लेकिन यह चुनाव भाजपा और काँग्रेस दोनों के लिए 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल साबित होगा। खासकर नरेंद्र मोदी जी के लिए , जिन्होंने 13 साल लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री रह कर अशांत और बदहाल गुजरात को शांति, समृद्धि और विकास की राह दिखाई और इसी गुजरात मॉडल ने मोदी जी को प्रचण्ड और ऐतिहासिक बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता का सरताज बनाया और साथ ही ये भी देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव में 44 लोकसभा सीट के साथ मृतप्रायः सी काँग्रेस को संजीवनी मिल पाती है या नहीं !!
जयहिन्द !!
वन्देमातरम !!
दिनेश भंडुला
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