मोदी जी का विकास बनाम राहुल गाँधी का पागल विकास
गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब चंद दिन ही शेष रह गए हैं, आगामी 9 एवं 14 दिसंबर को मतदान होगा लेकिन जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आती जा रही है वैसे वैसे सभी राजनीतिक दलों की सरगर्मियां भी तेज होती जा रही हैं और लगभग सभी राजनीतिक दलों के चुनावी भाषण दिलचस्प आकार लेने लगे हैं।
कभी हिन्दू आतंकवाद की शब्द रचना और मन्दिर जाने वालों पर लड़कियाँ छेड़ने का आरोप लगाने वाले आज खुद माथे पर बड़ा सा तिलक लगाये कभी जन्मजात हिन्दू तो कभी जनेऊधारी हिन्दू का दम भरते नजर आने लगे हैं लेकिन ये काँग्रेस जन अक्सर मुख्य मुद्दों पर बात करने से कतराते हैं।
आखिर कतराएं भी क्यों नहीं अपनी इसी विकास को दरकिनार करने की नीति और जमकर लूट-खसोट के चलते 2014 के लोकसभा चुनावों में 545 में से मात्र 44 सीट पर सिमट चुकी कांग्रेस अब देश के लगभग सभी बड़े राज्यों की विधानसभा में भी अपना वर्चस्व खो चुकी है तो वहीं गुजरात में पिछले 22 - 23 सालों से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस अपने वजूद को कायम करने के लिए आज जातिगत राजनीति के चेहरे हार्दिक, जिग्नेश और कल्पेश जैसे नौसिखियों के सहारे चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश में जुटी है।
23 साल पहले तक काँग्रेस शासन में कभी लगभग हर रोज जातिय दंगो में जलने वाला गुजरात आज भारत का सबसे विकसित और शान्तिपूर्ण राज्य बन चुका है।
मोदी जी इसी विकासगाथा को मात्र गुजरात ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण हिन्दुस्तान में पास करवा चुके हैं और इसी का गुणगान करते हुए अपने भाषणों में "सब का साथ, सब का विकास" के साथ हिन्दुस्तान को "विश्व गुरु" बनाने के विचार जनता के सामने रख रहे हैं लेकिन राहुल गांधी इसी विकास का मजाक उड़ाते हुए कभी विकास को पागल साबित करने की कोशिश करते हैं, कभी मोदी जी के सूट बूट की बात करते हैं तो कभी मोदी जी के आंसुओं पर व्यंग करते नजर आ रहे हैं।
खैर अब 9 व 14 दिसम्बर को मतदान के साथ साफ हो जायेगा और 18 दिसम्बर को चुनावी नतीजों के ये भी सामने आ ही जायेगा कि ऊँठ किस करवट बैठेगा।
फिर एक नये मुद्दे पर अपने विचार ले कर उपस्थित होऊँगा, तब तक के लिए नमस्कार !!
दिनेश भंडुला
कभी हिन्दू आतंकवाद की शब्द रचना और मन्दिर जाने वालों पर लड़कियाँ छेड़ने का आरोप लगाने वाले आज खुद माथे पर बड़ा सा तिलक लगाये कभी जन्मजात हिन्दू तो कभी जनेऊधारी हिन्दू का दम भरते नजर आने लगे हैं लेकिन ये काँग्रेस जन अक्सर मुख्य मुद्दों पर बात करने से कतराते हैं।
आखिर कतराएं भी क्यों नहीं अपनी इसी विकास को दरकिनार करने की नीति और जमकर लूट-खसोट के चलते 2014 के लोकसभा चुनावों में 545 में से मात्र 44 सीट पर सिमट चुकी कांग्रेस अब देश के लगभग सभी बड़े राज्यों की विधानसभा में भी अपना वर्चस्व खो चुकी है तो वहीं गुजरात में पिछले 22 - 23 सालों से सत्ता से बाहर रही कांग्रेस अपने वजूद को कायम करने के लिए आज जातिगत राजनीति के चेहरे हार्दिक, जिग्नेश और कल्पेश जैसे नौसिखियों के सहारे चुनावी नैया पार लगाने की कोशिश में जुटी है।
23 साल पहले तक काँग्रेस शासन में कभी लगभग हर रोज जातिय दंगो में जलने वाला गुजरात आज भारत का सबसे विकसित और शान्तिपूर्ण राज्य बन चुका है।
मोदी जी इसी विकासगाथा को मात्र गुजरात ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण हिन्दुस्तान में पास करवा चुके हैं और इसी का गुणगान करते हुए अपने भाषणों में "सब का साथ, सब का विकास" के साथ हिन्दुस्तान को "विश्व गुरु" बनाने के विचार जनता के सामने रख रहे हैं लेकिन राहुल गांधी इसी विकास का मजाक उड़ाते हुए कभी विकास को पागल साबित करने की कोशिश करते हैं, कभी मोदी जी के सूट बूट की बात करते हैं तो कभी मोदी जी के आंसुओं पर व्यंग करते नजर आ रहे हैं।
खैर अब 9 व 14 दिसम्बर को मतदान के साथ साफ हो जायेगा और 18 दिसम्बर को चुनावी नतीजों के ये भी सामने आ ही जायेगा कि ऊँठ किस करवट बैठेगा।
फिर एक नये मुद्दे पर अपने विचार ले कर उपस्थित होऊँगा, तब तक के लिए नमस्कार !!
दिनेश भंडुला
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