यह कैसी अभिव्यक्ति की आज़ादी ?
भारत में "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" को संविधान में नागरिकों के मूल अधिकार के रुप में रखा गया है। सविंधान के अनुच्छेद 19, 20, 21 एवं 22 के अंतर्गत ऐसे अधिकारों की व्याख्या की गई है। इसमें अनुच्छेद 19 (1) मैं जहां बोलने एवं सार्वजनिक रूप से भाषणबाजी के अधिकारों की व्याख्या है तो वही अनुच्छेद 19 (2) में भाषा की मर्यादाओं का उल्लेख किया गया है।
इन सब के बावजूद शायद हमारे संविधान में कुछ इतना लचीलापन है कि कोई भी व्यक्ति कुछ भी अनाप शनाप कहकर साफ बच निकलता है। शायद इसी कमजोर कड़ी के कारण लोकसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने संविधान में फेरबदल करने पर रक्तपात की धमकी दे डाली थी।
पिछले कुछ समय से विपक्ष के व्यक्तियों के द्वारा अपने भाषणों में अमर्यादित भाषा का प्रयोग बढ़ गया है। कभी खुलेआम देश को तोड़ने की तो कभी हमारे वीर सैनिकों के लिए बलात्कारी जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया। यहां तक कि हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के विरोध स्वरूप कभी "मौत का सौदागर" कभी "नरभक्षी" तो कभी गला तक काटने की धमकी और अब राजद अध्यक्ष लालू यादव के पुत्र द्वारा मोदी जी की चमड़ी उधेड़ने का एलान किया गया।
क्या किसी देश के प्रधानमंत्री के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग करने पर हमारे देश के कानून के रखवालो का फर्ज नहीं बनता कि इस ओर कुछ सख्त कदम उठाए जाये।
अतः अब इस मसले पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय को स्वतः संज्ञान ले कर सविंधान की पुनः समीक्षा के आदेश दिए जाने चाहिये और ऐसे किसी भी व्यक्ति पर आवश्यक ठोस करवाही की जानी चाहिये ताकि देश में सौहार्दपूर्ण वातावरण कायम किया जा सके।
#जयहिन्द
दिनेश भंडुला
इन सब के बावजूद शायद हमारे संविधान में कुछ इतना लचीलापन है कि कोई भी व्यक्ति कुछ भी अनाप शनाप कहकर साफ बच निकलता है। शायद इसी कमजोर कड़ी के कारण लोकसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने संविधान में फेरबदल करने पर रक्तपात की धमकी दे डाली थी।
पिछले कुछ समय से विपक्ष के व्यक्तियों के द्वारा अपने भाषणों में अमर्यादित भाषा का प्रयोग बढ़ गया है। कभी खुलेआम देश को तोड़ने की तो कभी हमारे वीर सैनिकों के लिए बलात्कारी जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया। यहां तक कि हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के विरोध स्वरूप कभी "मौत का सौदागर" कभी "नरभक्षी" तो कभी गला तक काटने की धमकी और अब राजद अध्यक्ष लालू यादव के पुत्र द्वारा मोदी जी की चमड़ी उधेड़ने का एलान किया गया।
क्या किसी देश के प्रधानमंत्री के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग करने पर हमारे देश के कानून के रखवालो का फर्ज नहीं बनता कि इस ओर कुछ सख्त कदम उठाए जाये।
अतः अब इस मसले पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय को स्वतः संज्ञान ले कर सविंधान की पुनः समीक्षा के आदेश दिए जाने चाहिये और ऐसे किसी भी व्यक्ति पर आवश्यक ठोस करवाही की जानी चाहिये ताकि देश में सौहार्दपूर्ण वातावरण कायम किया जा सके।
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दिनेश भंडुला
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