बलात्कार पर मध्यप्रदेश में सख्त कानून की तैयारी
26 नवम्बर 2017 को मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने राज्य में बलात्कार के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस पर कड़ा कानून तैयार किया इसके तहत 12 साल या उससे कम उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार करने वाले आरोपी को दोष साबित होने पर फाँसी की सजा का प्रावधान रखा गया है।
इस कानून को आगामी विधानसभा सत्र में पास किया जाएगा और फिर से केंद्र सरकार एवं राष्ट्रपति महोदय के पास विचार हेतु भेजा जाएगा।
निश्चित ही ऐसा कानून पास होना समाज के लिए बेहतर होगा लेकिन इसमें 12 साल एवं उससे कम उम्र की की लड़कियों का प्रावधान रखना कुछ अखरता है। मेरा मानना है कि महिला किसी भी उम्र की हो और उसके साथ ऐसी घटना होना बेहद चिंता जनक है साथ ही मैं यह कहना चाहूंगा कि बालात्कारी चाहे वह बालिग हो या नाबालिग, इस मुद्दे पर बालात्कारी की उम्र से उसके दोष को कम करके आंकना विधिसम्मत नहीं होगा और ऐसे मामलों की जांच में पूर्ण निष्पक्षता एवं विवेक बरतना होगा ताकि कोई निर्दोष की बलि ना चढ़ जाये।
यहां यह बात और गौर करने योग्य है कि आखिर ऐसे दुष्कर्म के मामलो की अचानक बढ़ती संख्या के मूल कारण क्या हैं ?
मेरा मानना है कि फिल्मों और 24 घण्टे टीवी चैनल्स पर प्रसारित होने वाले वो अधिकांश विज्ञापन भी है, जिन में महिलाओं के जिस्म की बेहूदा नुमाइश की जाती है।
जब भी कोई शख्स ऐसे दृश्य बार बार देखता है तो मानसिक व शारीरिक रूप से अति उत्तेजित हो उन पर्दे के कलाकारों तो कुछ बिगाड़ नहीं पाता लेकिन अपने आस पास ही ऐसे मौको की तलाश कर अंजाम दे देता है।
अतः ऐसे कार्यक्रमो की और भी सेंसर के नियमों को सख्त करने की दरकार है।
दिनेश भंडुला
इस कानून को आगामी विधानसभा सत्र में पास किया जाएगा और फिर से केंद्र सरकार एवं राष्ट्रपति महोदय के पास विचार हेतु भेजा जाएगा।
निश्चित ही ऐसा कानून पास होना समाज के लिए बेहतर होगा लेकिन इसमें 12 साल एवं उससे कम उम्र की की लड़कियों का प्रावधान रखना कुछ अखरता है। मेरा मानना है कि महिला किसी भी उम्र की हो और उसके साथ ऐसी घटना होना बेहद चिंता जनक है साथ ही मैं यह कहना चाहूंगा कि बालात्कारी चाहे वह बालिग हो या नाबालिग, इस मुद्दे पर बालात्कारी की उम्र से उसके दोष को कम करके आंकना विधिसम्मत नहीं होगा और ऐसे मामलों की जांच में पूर्ण निष्पक्षता एवं विवेक बरतना होगा ताकि कोई निर्दोष की बलि ना चढ़ जाये।
यहां यह बात और गौर करने योग्य है कि आखिर ऐसे दुष्कर्म के मामलो की अचानक बढ़ती संख्या के मूल कारण क्या हैं ?
मेरा मानना है कि फिल्मों और 24 घण्टे टीवी चैनल्स पर प्रसारित होने वाले वो अधिकांश विज्ञापन भी है, जिन में महिलाओं के जिस्म की बेहूदा नुमाइश की जाती है।
जब भी कोई शख्स ऐसे दृश्य बार बार देखता है तो मानसिक व शारीरिक रूप से अति उत्तेजित हो उन पर्दे के कलाकारों तो कुछ बिगाड़ नहीं पाता लेकिन अपने आस पास ही ऐसे मौको की तलाश कर अंजाम दे देता है।
अतः ऐसे कार्यक्रमो की और भी सेंसर के नियमों को सख्त करने की दरकार है।
दिनेश भंडुला
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