बलात्कार : दोषी कौन ?
दोस्तों आज जिस खास मुद्दे पर मैं अपने विचार रखना चाहता, आज वो मुद्दा मात्र ही नहीं रह गया है बल्कि समाज के लिए नासूर बनता जा रहा है।
जल्द ही इस नासूर का ईलाज ना किया गया तो जल्द ही ये समाज को तहस नहस कर डालेगा।
दोस्तों अभी दो दिन पहले गुरुग्राम (हरियाणा) में बेहद प्रतिष्ठित विद्यालय "रेयान पब्लिक स्कूल" के टॉयलेट में एक 12 वर्षीय बालक की गला रेंत कर हत्या कर दी गयी, इसकी वजह आरोपी स्कूल बस कंडक्टर द्वारा कुकर्म की कोशिश में बच्चे द्वारा शोर मचाना था और कल दिल्ली के एक स्कूल में चपरासी द्वारा 5 वर्षीय बच्ची के रेप का मामला सामने आया।
ऐसे सभी केस में काफी हद तक दोषी हमारा लचर कानून भी है जो अक्सर सजा देने में बहुत देर करता है। दोषी को बालिग नाबालिग के तराजू में तोल कर सजा में ढिलाई बरतता है जबकि मेरा मानना है कि ऐसे जघन्य अपराधों में उम्र की आड़ में दोषी का दोष कतई भी कम नहीं होना चाहिए।
अब बात करूंगा कि क्या केवल दोषी को सज़ा देने मात्र से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग जायेगा...?
नहीं कदापि नहीं !!
इस के लिये हर एक व्यक्ति को समाज मे पनप रही इस बीमारी की जड़ को खत्म करना होगा।
आज युवाओ का एक वर्ग फ्री सेक्स की पैरवी करता है और उसी सोच का खुलेआम भौंडा प्रदर्शन करने वाले दल को इस देश का युवा बहुत बड़े विश्वविद्यालय में चुनाव में जीत दिलवाता है।
फिल्मों में और फैशन के नाम पर फूहड़ पहनावा भी इसी सोच को बढ़ावा देने में अहम रोल निभा रहा है।
कुछ फिल्मकार फिल्मी पर्दो पर अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर खुलेआम नारी के लगभग नग्न शरीर का प्रदर्शन करते जा रहे हैं। ऐसी फिल्मों को जब भी कोई देखेगा तो निश्चित ही उसमे मानसिक विकृति उत्तपन होगी। अब वो उस हीरोइन का तो क्या बिगाड़ लेगा लेकिन वही विकृत मानसिकता ले कर वह अपने आस पास ही अपनी काम पिपासा शांत करने का मौका ढूंढेगा और फिर उस का मौका जहाँ भी लगे, चाहे 2-5 साल की लड़की लड़का हो या कोई भी उम्र की औरत... अपनी घिनौनी सोच को अंजाम तक पहुंचा ही देगा। बाद में भले ही समाज सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटते रहें, सांप अपना काम कर गया।
आज आवश्यकता है कि उस घिनौनी सोच को पनपाने वालो कारणों पर प्रहार करने....!!
#जयहिन्द
#देबू_काका
जल्द ही इस नासूर का ईलाज ना किया गया तो जल्द ही ये समाज को तहस नहस कर डालेगा।
दोस्तों अभी दो दिन पहले गुरुग्राम (हरियाणा) में बेहद प्रतिष्ठित विद्यालय "रेयान पब्लिक स्कूल" के टॉयलेट में एक 12 वर्षीय बालक की गला रेंत कर हत्या कर दी गयी, इसकी वजह आरोपी स्कूल बस कंडक्टर द्वारा कुकर्म की कोशिश में बच्चे द्वारा शोर मचाना था और कल दिल्ली के एक स्कूल में चपरासी द्वारा 5 वर्षीय बच्ची के रेप का मामला सामने आया।
ऐसे सभी केस में काफी हद तक दोषी हमारा लचर कानून भी है जो अक्सर सजा देने में बहुत देर करता है। दोषी को बालिग नाबालिग के तराजू में तोल कर सजा में ढिलाई बरतता है जबकि मेरा मानना है कि ऐसे जघन्य अपराधों में उम्र की आड़ में दोषी का दोष कतई भी कम नहीं होना चाहिए।
अब बात करूंगा कि क्या केवल दोषी को सज़ा देने मात्र से ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग जायेगा...?
नहीं कदापि नहीं !!
इस के लिये हर एक व्यक्ति को समाज मे पनप रही इस बीमारी की जड़ को खत्म करना होगा।
आज युवाओ का एक वर्ग फ्री सेक्स की पैरवी करता है और उसी सोच का खुलेआम भौंडा प्रदर्शन करने वाले दल को इस देश का युवा बहुत बड़े विश्वविद्यालय में चुनाव में जीत दिलवाता है।
फिल्मों में और फैशन के नाम पर फूहड़ पहनावा भी इसी सोच को बढ़ावा देने में अहम रोल निभा रहा है।
कुछ फिल्मकार फिल्मी पर्दो पर अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर खुलेआम नारी के लगभग नग्न शरीर का प्रदर्शन करते जा रहे हैं। ऐसी फिल्मों को जब भी कोई देखेगा तो निश्चित ही उसमे मानसिक विकृति उत्तपन होगी। अब वो उस हीरोइन का तो क्या बिगाड़ लेगा लेकिन वही विकृत मानसिकता ले कर वह अपने आस पास ही अपनी काम पिपासा शांत करने का मौका ढूंढेगा और फिर उस का मौका जहाँ भी लगे, चाहे 2-5 साल की लड़की लड़का हो या कोई भी उम्र की औरत... अपनी घिनौनी सोच को अंजाम तक पहुंचा ही देगा। बाद में भले ही समाज सांप निकल जाने के बाद लकीर पीटते रहें, सांप अपना काम कर गया।
आज आवश्यकता है कि उस घिनौनी सोच को पनपाने वालो कारणों पर प्रहार करने....!!
#जयहिन्द
#देबू_काका
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