क्या वास्तव में कठपुतली ही रहे डॉ मौन
काँग्रेस के विरोधी होने के बावजूद कुछ काँग्रेसी नेताओं की मैं इज्जत करता रहा हूँ, जिनमे से एक पूर्व प्रधानमन्त्री डॉ मनमोहन सिंह जी भी हैं।
डॉ मनमोहन जी की इज्जत करने का कारण उन का व्यक्तित्व है, जिस पर प्रकाश डालना चाहूँगा।
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मनमोहन सिंह जी का जन्म ब्रिटिश भारत (वर्तमान पाकिस्तान) के पंजाब प्रान्त में 26 सितम्बर 1932 को हुआ था। उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था। देश के विभाजन के बाद सिंह का परिवार भारत चला आया। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गये। जहाँ से उन्होंने पीएच. डी. की। तत्पश्चात् उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. भी किया। उनकी पुस्तक इंडियाज़ एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की अन्तर्मुखी व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है। डॉ॰ सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वे पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकनामिक्स में प्राध्यापक रहे। इसी बीच वे संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन सचिवालय में सलाहकार भी रहे और 1987 तथा 1990 में जेनेवा में साउथ कमीशन में सचिव भी रहे। 1971 में डॉ॰ सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मन्त्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गये। इसके तुरन्त बाद 1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद के वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमन्त्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। भारत के आर्थिक इतिहास में हाल के वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब डॉ॰ सिंह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मन्त्री रहे और 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमन्त्री के पद पर आसीन रहे।
अपने 10 साल के प्रधानमन्त्री काल में डॉ सिंह कुछ भी विशेष ना कर पाये और जिन परिस्थितियों में उन्हें प्रधानमन्त्री बनाया गया उस के परिणाम स्वरूप डॉ सिंह पर गाँधी परिवार यानि मैडम सोनिया की कठपुतली होने के आरोप लगते रहे और उन्हें मौनमोहन के नाम से भी पुकारा जाने लगा।
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और यही कारण था कि डॉ सिंह के प्रति मेरे मन में इज्जत काफी कम हो गयी।
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और जब केंद्र सरकार ने GST लागू करने से पूर्व 30 जून को एक समारोह आयोजित किया, जिस में देश के कई गणमान्य व्यक्ति आमंत्रित किये गये।
इस समारोह में बतौर पूर्व प्रधानमन्त्री डॉ सिंह एवं विपक्षी यूपीए की सर्वेसर्वा सोनिया गाँधी को भी निमंत्रण भेजा गया था लेकिन राजनितिक विरोध के चलते मैडम सोनिया का ना आना तो समझ आता है परन्तु हिन्दुस्तान की आज़ादी के बाद से अब तक के आर्थिक सुधार हेतु ऐतिहासिक कदम की ओर बढ़ते हुए आयोजन में महान अर्थशास्त्री और पूर्व RBI गवर्नर व पूर्व प्रधानमन्त्री डॉ मनमोहन सिंह जी का ना आना बहुत बुरा लगा।
जबकि अप्रेल 2017 में राज्य सभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने GST को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि ये गेम चेंजर होगा, लेकिन राहों में थोड़ी मुश्किलें भी आएंगी। राज्यसभा में भी मनमोहन सिंह जी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली जी का साथ देते हुए GST पारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
ऐन मौके पर काँग्रेस द्वारा बुलाई गई मीटिंग में मैडम सोनिया के आदेश को सर्वोपरि मानते हुए केंद्र सरकार के आयोजन का बहिष्कार कर आज भी अपने कठपुतली होने का सबूत आख़िरकार पेश कर ही दिया।
#जय_हिन्द
#देबू_काका
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