मैं बनिया हूँ, धन्धा करना जानता हूँ : केजरीवाल
" मैं बनिया हूँ और धन्धे को अच्छी तरह समझता हूँ "
ये बात दिसम्बर 2014 की एक रैली के दौरान जनाब केजरीवाल ने कही थी।
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आज निश्चित ही वे अपनी बात पर खरे उतर रहे हैं।
जनाब ने राजनीती को भी तिजारत बना दिया है।
साहब उसी सौदे में हाथ डालते हैं, जिस में पक्का फायदा ही हो।
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यूँ तो इन के निवास से कुछ ही दूरी पर वीर जाँबाज़ हनुमंत्थप्पा जिंदगी और मौत के बीच कई दिन लड़ते रहे, लेकिन जनाब ना तो वहाँ गये और ना ही कभी उन के परिवार से मिले।
शायद वो शहीद नहीं था !!
उरी, पठानकोट में भी हमारे जाँबाज़ों ने वीर गति पाई, लेकिन शायद जनाब केजरीवाल को वो भी शहीद नहीं लगे।
3 सितम्बर 2015 को सेना के कमांडो मोहन नाथ गोस्वामी 10 आतंकियों को मौत के घाट उतारने के बाद भारत माता के लिए कुरबान हो गये, वो भी जनाब केजरीवाल और राहुल गाँधी की नजर में शहीद का दर्ज़ा नहीं पा सके।
इतना ही नहीं अभी तक उनकी पत्नी और 8 वर्षीय बेटी को उत्तराखण्ड की कांग्रेस सरकार कोई लाभ नहीं दे पाई और ना ही सरकारी नौकरी।
अभी हाल ही में भोपाल जेल में अपना फ़र्ज़ निभाते हुए सुरक्षा प्रहरी रमाशंकर यादव जी 8 सिम्मी आतंकियों के हाथो अपनी जान दे गये।
रमाशंकर को शहीद कहना तो दूर, उन आठ आतंकियों को ही निर्दोष साबित करने में जुट गये जनाब केजरीवाल और राहुल गाँधी।
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शायद इनकी शहादत फायदे का सौदा नहीं थी, जो पैसे लुटाना तो दूर, दो शब्द श्रद्धांजली के ना कह सके अपने मुँह से....
जनाब ने एक अख़लाक़ पर करोड़ो इन्वेस्ट करा, तो फायदे में बिहार की गद्दी हथिया ली।
और अब एक ऐसे व्यक्ति को शहीद बनाने में जुट गये, जो शायद OROP का कानूनन हक भी नहीं रखता और आत्महत्या कर गया।
ऐसे बुजदिल रामकिशन पर फिर से करोड़ो का इन्वेस्टमेंट कर दिया बनिया एन्ड कम्पनी ने।
बाप का माल है, लुटाए जाओ।
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कृपया अपनी घिनौनी सौदेबाज़ी से बाज़ आ जाओ।
ऐसे लोगों को शहीद सम्बोधित कर शहीद नाम को बदनाम मत करो।
शहीद वो जाँबाज़ कहलाता है, जो देश के दुश्मनों का वीरता पूर्वक सामना करते हुए अपने प्राणों की आहूति दे देवे, ना कि बुजदिलो की तरह मैदान छोड़कर खुदकशी कर ले।
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बाकि राजनीती जितनी भी कर लो, एक दिन अख़लाक़ की तरह इस ख़ुदकुशी के राज से भी परदा उठ ही जायेगा।
जय हिन्द !!
जय जवान !!
#देबू_काका
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