सर्जीकल स्ट्राईक : काले धन पर
आज तक आप और हम सब ने हिंदी विषय में कुछ मुहावरे पढ़े
और उन मुहावरो के रटे रटाये अर्थ परीक्षा प्रश्न पत्र में लिख कक्षाएं उत्तीर्ण करते रहे
लेकिन कभी भी उन मुहावरो के अर्थ को सामान्य जीवन में प्रयोग होते नहीं देखा।
मुहावरे तो बहुत है लेकिन हाल ही कुछ दिनों में कुछ मुहावरो का साक्षात् प्रयोग होते देखा
जैसे :-
* सीधी ऊँगली से घी ना निकलना
* कानों पर जूँ तक ना रेंगना
* लातो के भूत बातोँ से नहीं मानते
* कानों कान खबर ना होना
* दूध का जला छाछ भी फूँक कर पीता है
* घोड़े बेच कर सोना
आदि आदि
तो जनाब मोदी सरकार ने अपने अब तक के कार्यकाल में काले धन धारियों को सब तरफ से समझाया मान मनुहार भी की
लेकिन जब मोदी सरकार ने देखा कि घी सीधी ऊँगली से नहीं निकलने वाला और ऐसे धनकुबेरों के कान पर जूँ तक नहीं रेंगी, सो ऊँगली टेढ़ी करनी पड़ी.....
ऐसे लोगों को टीवी, अख़बार हर तरह की मिडिया द्वारा चेताया गया कि 30 सितम्बर 2016 तक अपना काला धन सरकारी नियमानुसार बदल लें
कुछ लोगों ने बदला भी
लेकिन बहुत से लातो के भूत बातोँ से कहाँ मानने वाले थे,,,,नहीं माने
अब मोदी सरकार ने टेढ़ी ऊँगली से घी निकालना ही उचित समझा
और किसी को कानों कान खबर ना होने दी।
8 नवम्बर 2016 को अचानक शाम को प्रधानमन्त्री जी का राष्ट्र के नाम सन्देश प्रसारित होता है और चन्द घण्टों बाद रात बारह बजे से 500 और हजार के नोट बैन करने की घोषणा हो गयी।
देश का 80% धन इसी मुद्रा रूप में होने की भी जानकारी दी जाती है।
उन काला धन धारियों को टेढ़ी ऊँगली का दर्द होना लाज़मी है जो नोटों से भरे गद्दों पर सोते है, नोटों से भरे सिंघासनो न पर ही विराजते हैं।
दलितों की देवी, मसीहा सब चिल्ला रहे हैं, आम आदमी का पैरोकार मोदी सरकार को गालियाँ निकाल रहा है
वहीं अगर टीवी चैनलों पर देखे तो #शुद्ध_आम_आदमी को कहीँ कोई परेशानी नहीं बल्कि ख़ुशी है। रिक्शा चलाने वाला, सड़क किनारे ठेला लगाने वाला ख़ुशी से कह रहा है...साहब बहुत अच्छा किया सरकार ने, हमने तो कभी पांच सौ का नोट देखा ही नहीं, जिन के पास जमा हैं वो रोये तो रोये।
कुछ भी हो मोदी सरकार ने उन लोगों को सबक सीखा दिया जो गाय रूपी गरीब जनता को दुहते थे, उस दूध की मलाई खाते थे
आज मोदी जी ने अचानक इतनी तेज आग लगा दी कि उन का दूध उबल कर ऐसा छलका कि उन्हीं को जला गया।
अब तो उन की हालत ऐसी हो गयी कि दूध का जला छाछ भी फूँक फूँक कर पियेगा।
ऐसे ही अचानक नोट बन्दी के प्रहार से बचने के लिए शायद ही जरूरत से ज्यादा रुपया घर में रखेगा।
वहीँ बहुत से लोग ये भी मान रहे हैं कि जब ऐसे ही पैसा मिटटी हो सकता है तो सरकार को टेक्स दे कर आराम से घोड़े बेचकर ही सोना ठीक रहेगा।
जयहिन्द !!
वन्देमातरम् !!
#देबू_काका
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