सुशीला बाई : एक मिसाल
सुशीला बाई : एक मिसाल
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जी हाँ....
सुशीला बाई एक मिसाल है उन लोगों के लिए.......
जो ना केवल फ़र्ज़ी तरीके से BPL ( गरीबी रेखा से नीचे ) कार्ड बनवा कर सरकारी योजनाओं का मजाक उड़ा रहे हैं बल्कि उन गरीब दलितों का हक भी छीन रहे हैं, जो ऐसी योजनाओं के लाभ के वास्तविक हकदार हैं।
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उन लोगों के लिए जो साधन सम्पन्न होते हुए भी निकल पड़ते हैं आरक्षण के लिए और करोड़ो रूपये की सरकारी सम्पति को आग के हवाले कर देते हैं।
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उन नेताओं के लिए जो अपनी सत्ता की भूख मिटाने के लिए ऐसे आंदोलनों को हवा दे कर समाज में जहर घोल रहे हैं।
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सुशीला बाई जी को मैं ह्रदय से नमन् करता हूँ !!
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मध्यप्रदेश के ब्यावरा की कचनारिया गाँव में रहने वाली सुशीला बाई ने लोन ले कर अमाल्याहाट में अपने पति के साथ व्यवसाय शुरू किया था।
अल्प समय में ही अपनी मेहनत और सूझबूझ से ना केवल आज वह अपने परिवार का भरण पोषण करने में सक्षम हो गयी बल्कि सैकड़ो परिवारो को रोजगार भी प्रदान कर रही है।
इतना ही नहीं अब उन्होंने सरकार से अपना BPL कार्ड निरस्त करने का निवेदन भी कर दिया है।
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जैसा कि माननीय प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी ने भी कहा था कि जो भी अब सक्षम हो चुका है वह हर स्तर पर अपनी सरकारी सब्सिडी का त्याग कर देवे।
यदि सुशीला बाई जी को आदर्श मानते हुए हर सक्षम व्यक्ति अपनी सब्सिडी और साथ ही आरक्षण का भी त्याग करता है तो अवश्य ही वास्तविक गरीब दलित को इसका पूरा लाभ मिल सकेगा।
साथ ही आरक्षण और मुफ़्त की योजनाओं के नाम पर समाज को तोड़ने वाले अपने घर नहीं भर सकेंगे और "दलितों के देवी देवता" आम जनता के पैसो से अपने खजाने नहीं भर सकेंगे।
जयहिंद !!
#देबू_काका
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