अब देश मत जलने देना साहेब !!
हाँ साहेब.....
गरीब हूँ और भूखा भी....
पर बाजुओं में इतनी ताकत है
कि देश का मान सम्मान नहीं झुकने दूंगा
:
अपने बाप दादा को भी इसी तरह ही देखा है साहेब...
कोई दो चार बरस में अच्छा खाना खा लेते हैं साहेब....
शाम ढ़ले कुछ लोग आते हैं
दे जाते है ढेर सारा अच्छा खाने को और दो चार बोतल भी साहेब......
उस रात भर पेट खाते हैं और सुबह जब आँख खुलती है तो बापू भी यूँ ही साहेब.....
हाँ साहेब....
कभी कभी कुछ लोग और भी आते है साहेब....
बड़ी सी गाड़ी में हम सब को ले जाते हैं ना साहेब...
कुछ खाने को भी मिलता है ना
कहते है कोई बहुत बड़ा मेला लगा है साहेब....
ओ कौन सा साहेब...हाँ आरक्षण का मेला साहेब...
बहुत सारे लोग....
बहुत ऊँचे से भौंपू से कोई बोलता है साहेब...
ना जाने क्या क्या...
हाँ साहेब....आरक्षण आरक्षण की कोई आवाज़ सी आती है साहेब
$$$$ये आरक्षण क्या होता है साहेब ?
पता नहीं साहेब....
पर....
हाँ साहेब सुना है ....
आग लगाने से, गाड़ियाँ जलाने से, रेल की पटरियां उखाड़ने से मिलता है आरक्षण....
कुछ उखाड़ने से...उजाड़ने से मिलता है आरक्षण....
तो नहीं चाहिये साहेब ऐसी चीज़...
जो माँग रहे उन्हें दे दो साहेब....
पर अब देश मत जलने देना साहेब....
हम तो यूँ ही खुश हैं साहेब...
पहले भी और आगे भी जी लेंगे....
बस देश मत जलने देना साहेब !!
#देबू काका
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