ज़रा मुस्कुरा दो...देश बदल रहा है


किसी नेता के जन्म दिन पर 75 फुट का भारी भरकम केक काटा जाता है
रात भर रोशनाइयों के बीच नंगा फूहड़ नाच होता है
तो कोई नेता जीते जी करोड़ो अरबो रूपये डकार जाते है
तो मरने के बाद भी उन की कब्रों पर देश का करोड़ो रुपया पानी की तरह बहाया जाता है
लेकिन....
कोई फर्क नहीं पड़ता इन्हें.....
कि देश में सूखा पड़ा है
और कहीं बाढ़ से बरबादी हुई है
या कहीं अन्नदाता ही भुखमरी से दम तोड़ रहा है
ऐसे नेताओं के मुख सूखे से तड़पते किसान का मजाक उड़ाते है.....
" बाँधो में पानी नहीं तो क्या अपने पेशाब से भर दूँ "
आज.....
उन्हीं लोगों के पेट में दर्द उठ रहा है......
ऐसे ही लोग सवाल उठा रहे हैं.....
मोदी सरकार के दो साल के काम काज पर और उस के जश्न पर
कोई 75 फुटा केक नहीं बल्कि बुद्धिजीवी सरकार की विकास योजनाओं को समझाने की कोशिश कर रहे हैं आमजन को
कोई नंगा नाच नहीं बल्कि देश की संस्कृति का सशक्त प्रदर्शन हुआ
दो साल में मोदी सरकार के घोटालो पर बहस नहीं बल्कि विकास की बातें हुई
दर्द तो उठना वाजिब ही है ना.....
जिन्हें विकास से कोई सरोकार नहीं.....
कुछ मक्खियाँ शहद का निर्माण करती हैं जो लोगों को स्वस्थ और स्फूर्ति देता है
तो वहीँ.......
कुछ मक्खियाँ गन्दगी ही तलाशती है बैठने के लिये.....
:
हाँ देश बदल रहा है....
अब ज़रा मुस्कुरा दो.....
67 सालो बाद....
एक छोटी सी आशा जागी है.....
आसमानों को छूने की आशा.....
अब मुस्कुरा कर साथ देना होगा हम सब को.....
विकास की ओर बढ़ते विश्वगुरु बनने के सपनो को अंजाम तक पहुँचाना है....
हम सब को एक साथ मिलकर.....
आइये एक कदम हम चले और एक कदम तुम भी...
यही दो कदम कई सौ कदम बन जायेंगे जब चलेंगे हम सब मिल कर.....
:
दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा
मस्ती भरे मन की, भोली सी आशा
चाँद तारों को, छूने की आशा
आसमानों में, उड़ने की आशा....
वाह मणिरत्नम साहब...
क्या फ़रमाया है
जयहिंद !!

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