शहीद तनज़ील अहमद को सलाम
शोले फ़िल्म का ए. के. हंगल साहब का एक डायलॉग याद आ रहा है.....
इतना सन्नाटा क्यूँ है मेरे भाई.....
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आज यही सवाल मैं उस तथाकथित गैंग से पूछता हूँ, जो झूठे सेकुलरिज्म की टोपी ओढ़े कभी सड़को पर उतर जाता था
कभी टी वी चैनलो में असहिष्णुता पर छाती कूटता नजर आता था
तो कभी पुरुस्कार लौटाने वालो की भीड़ बन जाता था
कि इतना सन्नाटा क्यूँ है मेरे भाई.......
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इन्हें दादरी के अख़लाक़ की हत्या में वोटों की बिरयानी पुलाव की खुशबु आ जाती है लेकिन केरल में RSS के कार्यकर्ता की निर्मम हत्या पर ज़रा भी अफ़सोस नहीं होता और ना ही जाबांज़ ऑफिसर तंजील अहमद जी की हत्या पर ग़मज़दा होना आता है
ऐसे गैंग को हिन्दू मुस्लिम से कोई सरोकार नहीं
वोटों के गणित में अपना फायदा तलाशता ये गैंग भारत माता की जय बोलने और तिरंगा फहराने में भले ही शर्म आती हो लेकिन यही गैंग JNU मुद्दे पर सड़को पर लाल सलाम, हल्ला बोल जैसे नारों के साथ अफजल प्रेमी बन जाता है
आज भारतमाता के वीर सपूत तंजील अहमद की मौत पर चुप है ये गैंग.....
आखिर चुप क्यों ना रहे ये गैंग....
क्योंकि आज तो भारतमाता के टुकड़े करने वाले आतंकी अरमानो पर पानी फेरने वाले एक जांबाज़ की मौत हुई है ना.....
तंजील अहमद साहब की शहादत को सलाम....
नमन् हे वीर आप को
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारी तंजील अहमद ने बहुत कम समय में ही इन्वेस्टिगेशन में महारत हासिल कर ली थी। वह बड़े से बड़े आतंकी संगठन के कोडवर्ड को आसानी से ट्रेस कर लेते थे
उनके साथ हाल में ही आईएसआईएस के संदिग्धों को पकड़ने में शामिल रहे दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अलावा यूपी एसटीएफ के एक अफसर ने बताया कि वह उर्दू के बेहतर जानकार थे। इसके अलावा, वह सर्विलांस में भी माहिर थे। आतंकियों के बीच होने वाली बातचीत को आसानी से समझ लेते थे। यही वजह है कि उनकी गिनती एनआईए के सबसे तेजतर्रार अफसरों में होने लगी थी।
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असमय ही मौत के आगोश में सोने वाले वीर सपूत तंजील अहमद साहब की शहादत पर हर सच्चे हिंदुस्तानी को गर्व है।
शहीद तंजील अहमत अमर रहें
भारत माता की जय !!
वन्देमातरम् !!
जयहिंद !!
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