आखिर क्या है त्याग और समर्पण ?
त्याग की अपनी अलग महिमा होती है
यह आवश्यक नहीं कि एक महिला और एक पुरुष विवाह बन्धन में बन्ध कर सन्तानोत्पात्ति करें और दो चार संतानों को जन्म देने मात्र से गृहस्थ जीवन और समाज के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन समझ लें।
मोदी जी और उनकी पत्नी के सम्बन्ध में व्यंग्यात्मक कुप्रचार करने वालों को दोनों के त्याग और कर्तव्य से सीख लेनी चाहिये।
दोनों के रास्ते भले ही अलग अलग रहे हों लेकिन उनका उद्देश्य एक ही रहा और रिश्तों की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रयासरत रहे।
एक ने शिक्षक के रूप में राष्ट्र को अपनी सेवाएं दी तो दूसरे ने अपनी कार्य क्षमता के आधार पर राष्ट्र के प्रधान सेवक के पद पर पहुंच कर एक मिसाल कायम की और आज भी बिना किसी निजी हित के अपना सर्वस्व राष्ट्र के उत्थान में लगाये हुए हैं।
डॉ कलाम साहब और माननीय नरेंद्र मोदी जी जैसे प्रधान सेवक किसी राष्ट्र को सदैव नहीं मिला करते।
वरना राष्ट्र के पैसो से अपने खानदान तक का घर भरने वाले नेता तो पहले भी बहुत आये
मोदी जी एवं उन की पत्नी के त्याग और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य को इस सत्यकथा के माध्यम से भी समझा जा सकता है
:
मोदी की पत्नी का समाज को 45 साल बाद
पता चला...
इस पर मुझे प्राचीन भारत के एक महान आचार्य के
वैवाहिक जीवन की कथा ध्यान में आयी है
अतः मित्रों से सहभाग करना चाहता हूं|
.
मिथिला के एक महान पण्डित थे
वाचस्पति मिश्र. भारत के सभी दार्शनिक
निकायों के अद्वितीय विद्वान,
उनकी शादी हुयी और अध्ययन अध्यापन
तथा अपने लेखन कर्म में इस तरह डूबे की गृहस्थ धर्म
भूल गया |
एक दिन सूरज डूबने के बाद गहरा रहे अन्धेरे के बीच
एक महिला ने दीपक जला कर उनकी पढने-लिखने
वाली तिपायी के सामने रखा तो उनका ध्यान
भंग हुआ और महिला से उन्होने पूछा कि देवी आप
कौन हैं ?
इसपर उस महिला का उत्तर दिया मै
आपकी पत्नी हूं जो विगत 30 वर्षो से
आपकी सेवा में लगी हुयी हूं पर आज
असावधानी वश मेरे कारण आपकी एकाग्रता भंग
हुई है इसका अपराध बोध हो रहा है|
वाचस्पति मिश्र ने उत्तर दिया कि- इस
ढली हुयी उम्र में मै गृहस्थ जीवन के
किसी भी दायित्त्व का निर्वहन नहीं कर
सकता,
पर अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति का नाम आपके नाम पर
रखकर आपको युग युगान्तर तक अमर कर दूंगा|
आज भी भारतीय दर्शन मे वेदान्त सर्वोत्तम है
तो वेदान्त में ‘भामती’ सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ|
पत्नी को प्रताडित करना अपराध है उससे दूर रह
कर देश समाज का कार्य करना अपराध
नही त्याग है|
वरना बुद्ध को भी राजनीति के धरातल पर
अपराधी सिद्ध कर दिया जायेगा और जाने ऐसे
कितने लोग अपराधी हो जायेगें | इस त्याग
को सम्मान दें , --
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