राष्ट्रहित में उठो जागो....मेरे देशवासियों
ये प्रोफेसर साहिबा JNU में शिक्षिका हैं.....
इन का मानना है कि.....
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं बल्कि कब्जाया हुआ भू भाग है
नागालैंड भारत का नहीं बल्कि आक्रमण कर हथियाया हुआ है
इन्हें हिन्दू धर्म दुनिया का सब से हिंसक धर्म लगता है
ये हिंदी को राष्ट्रभाषा भी मानने को तैयार नहीं
ये हिंदुस्तान को भाषा ही नहीं जाति के आधार पर भी बाँटने की सोच रखती हैं
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और ऐसी सोच रखने वाले शिक्षक अगर बरसो से JNU के छात्रों को पढ़ा रहे हैं तो कोई शक नहीं कि वो छात्र " भारत तेरे टुकड़े होंगे हजार " जैसे नारे लगायेंगे।
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इतने साल तक सत्ता सम्भालने वाली कांग्रेस ने हर देशवासी को अँधेरे में रखा और एक ऐसी सोच को पाला पोसा जो वक्त आने पर अपना विकराल रूप धारण कर सके।
अगर इन प्रोफेसर साहिबा का JNU में राष्ट्रवाद पर दिया गये व्याख्यान पर गौर किया जाये तो नतीजा यही निकलता है कि ये ऐसे चन्द लोगों की छटपटाहट है जिन्हें मोदी सरकार के शासन में घुटन महसूस होने लगी है क्योंकि इन्होंने बरसों से जो पाठ छात्रों को पढ़ा कर हिंदुस्तान के टुकड़े टुकड़े करने के मनसूबे पाले थे, वो धराशाही हो चुके हैं।
और अब.....
जो गरीबी भुखमरी इन्हें 65 सालोँ में नहीं दिखी....
उसका झूठा सहारा ले कर आज़ादी के नारे लगा रहे हैं....
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इन्हें आभास हो चुका है कि मोदी जी की नीतियाँ कामयाब होने लगी हैं और पांच साल मोदी सरकार ठीक से काम कर गयी तो भारत से गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी जैसी विकराल समस्याएँ 100 % नहीं लेकिन हाँ 60-70% तक कम हो जायेँगी
फिर इनकी दुकानदारी भी ठप्प हो जायेगी....
तो क्यों ना ऐसे घिनौने प्रदर्शन कर सरकार का काम काज रोका जाये।
जयहिंद !!
वन्देमातरम् !!
#आज़ाद_भारत_का_आज़ाद_नागरीक_अभिव्यक्ति_की_आज़ादी
#देबू_काका
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