हाँ..... अब मिली है आज़ादी


    आज तक हम सब ना जाने किस गलतफहमी में जी रहे थे....

कि हम आज़ाद हैं, अपनी इच्छा से बोलने, सुनने, खाने, रहने ना जाने कितनी तरह की आज़ादी को अपना अधिकार समझ रहे थे...
बहुत गर्व होता था जब 15 अगस्त और 26 जनवरी को देश की हर इमारत पर लहराते हुए तिरंगे को देखते थे.....
" विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा "
" जन गण मन " को राष्ट्रगान और " वन्देमातरम् " को राष्ट्रगीत मान जब गाते थे तो सीना गर्व से फूला नहीं समाता था.....
लेकिन.....
लेकिन शायद वो छलावा था, केवल एक दिखावा था.......
उस की आड़ में एक सोच सत्ता सम्भाले थी जो भीतर ही भीतर हिंदुस्तान को दीमक की तरह खोखला किये जा रही थी......
हम हिंदुस्तानी अनजान......मूक दर्शक से बने बैठे थे.....
हमे जो मिडिया में दिखाया जा रहा था उसे ही सच मान लिया था.......
लेकिन असली सच क्या था, किस प्रकार एक सत्ताधारी दल के मंत्री सन्तरी गला घोंट रहे थे आज़ादी का.........
आज वो सब परत दर परत खुल रहा है.........
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हाँ..... सही मायने में हम आज़ाद ही अब हुए हैं.....
बरसो सरकार के जुल्म सहने वाले अधिकारी आज अपने दिल की बात कह पा रहे हैं.....
मिडिया भी एक एक सच उजागर करने में लगा है......
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आज हम जान पाये कि बरसो सत्ता के सुख भोगने वाले मंत्री और बुद्धिजीवी लोग......
उन्हें तिरंगा फहराने में शर्म आती है....
उन्हें राष्ट्रगान गाने में लज्जा महसूस होती है.....
उन्हें वन्देमातरम् गाना भी देशद्रोह लगने लगा है.....
आतंकी अफज़ल की फाँसी पर वाहवाही लूटने वालों को खुद अपने फैसले पर दुःख हो रहा है......
JNU जैसे महत्वपूंर्ण शिक्षण संस्थानों में किस तरह राष्ट्रविरोधी पौध तैयार की जा रही थी.....
किस प्रकार माँ दुर्गा का अपमान और भगवान श्री राम जी को फाँसी का खेल खेला जाता रहा.....
ईशरत जहाँ जैसी आतंकी को शहीद का जामा पहना कर पुलिस अफसरों को प्रताड़ित किया गया....
और भी ना जाने क्या क्या किया गया होगा.....
इन सब में शामिल ऐसे नेता जो हिंदुस्तान के गृह मंत्री, वित्त मंत्री जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर रहे.......शायद यही हिंदुस्तान का दुर्भाग्य था
और ये सब छुपा रहे तो मिडिया का भी गला दबाया हुआ होगा
लेकिन.......
अब सब आज़ाद हैं........
खुल के बोल रहे हैं मिडिया भी और अधिकारी भी.....
यही तो असली आज़ादी......
  • सही मायने में " अभिव्यक्ति की आज़ादी "



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