सावधान !! ........ एक और केजरीवाल !!!
आम आदमी पार्टी से मार्च 2015 में निकाले गए प्रो. योगेन्द्र यादव ने आज एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने के संकेत दिए और फ़रवरी के अंत तक इस की औपचारिक घोषणा भी कर दी जायेगी।
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इस मुद्दे पर चर्चा करें इस से पहले योगेन्द्र यादव जी के बारे में संक्षेप में बताना जरूरी होगा....
9 मई 1963 को जन्मे योगेन्द्र का बचपन का नाम सलीम था।
- इनके दादा अध्यापक थे, पिता अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और पत्नी भी दिल्ली यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है जबकि योगेन्द्र यादव स्वयं राजस्थान यूनिवर्सिटी से स्नातक BA, जवाहर लाल यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर MA और पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से MPhil ( राजनीति विज्ञानं ) में किया।
1985 से 1993 तक पंजाब यूनिवर्सिटी में बतौर प्रोफेसर राजनीति के बारे में भी पढ़ाया और समय समय दूरदर्शन, NDTV, CNN-IBN आदि चैनलो पर राजनीतिक विश्लेषक के रूप में भी कार्य किया।
फिर इन्हें UPA सरकार द्वारा विश्विद्यालय अनुदान आयोग UGC और राष्ट्रिय सलाहकार समिति का सदस्य भी नियुक्त किया गया।
इतना ही नहीं ये 2009 लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के राजनीतिक सलाहकार ही नहीं गुरु भी रहे।
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शायद इतना कुछ जानने के बाद कोई शक नहीं कि योगेन्द्र यादव एक मंझे हुए राजनीतिक खिलाडी हैं और गांधी परिवार के बेहद करीबी भी.....
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अब मुद्दे की बात....
आखिर अभी ही क्यों हुई नई पार्टी बनाने की जरूरत ??????
हाँ यही होगी कोंग्रेस को C टीम
B टीम थी आम आदमी पार्टी
जब कांग्रेस को लगा की दिल्ली विधानसभा में ही नहीं पूरे देश में कांग्रेस विरोधी और उसके भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल बन गया है और उसका सत्ता में आना नामुमकिन है तो उसने केजरीवाल, योगेन्द्र यादव जैसे पढ़ेलिखे लोगों को खड़ा कर दिया और देश में खुद के भ्रष्टाचार के खिलाफ ही आवाज़ बुलन्द करवा दी ताकि आम जनता को आसानी से इस " आम आदमी पार्टी " की ओर मोड़ा जा सके। दिल्ली चुनाव में जब उसे आशातीत सफलता नहीं मिली तो उसने अपनी ही मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 25 हजार वोट से हराने वाले अरविन्द केजरीवाल को समर्थन दे कर जैसे तैसे सरकार चलाये रखी। लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सफलता नहीं मिली तो उसने राज्यों की तरफ ही अपना ध्यान केंद्रित कर दिया क्योकि राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू कश्मीर आदि राज्यो से उसकी सत्ता छीन चुकी थी और पक्का हो गया कि अब कांग्रेस के नाम पर कोई वोट नहीं मिलने वाला।
ऐसे में कांग्रेस ने अपनीह बी टीम यानि आम आदमी पार्टी नाम से एक नया दल उतार दिया और उसे अप्रत्यक्ष रूप से भरपूर सहयोग किया। दिल्ली में पूर्व गलती ना दोहराते हुए दोबारा हुए चुनाव में अपना लगभग सारा वोट बैंक आम आदमी पार्टी की तरफ मोड़ भले ही अपना सूपड़ा साफ करवा लिया लेकिन भाजपा को सत्ता से बाहर रखने में सफल हो गयी।
इस चुनाव में भाजपा के वोट प्रतिशत भले ही कम ना हुए लेकिन सीटो का बड़ा नुकसान हुआ और कांग्रेस की रणनीति काम आई तो उसने बिहार में भी अपने खुद को गौण कर अन्य दलों को समर्थन दे कर फिर सफलता हासिल की।
अब जब अगले वर्ष पांच राज्यों में चुनाव होने हैं तो इस नए दल को पंजाब की रणनीति में काम में लिया जा सकता है क्योंकि एक तो कांग्रेस को सरकार विरोधी लहर का फायदा मिल सकता है तो दूसरी ओर योगेन्द्र यादव के प्रोफेसर के तौर पर बिताये गए 8 साल युवाओं को खींचने में सफल हो सकते हैं।
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इस प्रकार राज्यो में गैर भाजपा सरकार बनवा कर और फिर जैसा कि केजरीवाल कर रहे हैं, जो दिल्ली पर ध्यान ना देकर केंद्र व अन्य राज्यो की राजनीती में टाँग अड़ा कर केंद्र सरकार के विरुद्ध माहौल बनाने में सहायक होंगे ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नीत मोदी सरकार को घेरा जा सके।
जयहिंद !!
वन्देमातरम् !!
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