पढ़े : सत्ता की लत

बहुत दुःख हो रहा है जब भी ये सोचता कि एक ऐसी सोच ने हिंदुस्तान पर इतने बरस राज किया। मैं ये सपने में भी नहीं सोच सकता था कि कोई सत्ता के लालच में इस कदर गिर जायेगा। आज जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ये कहता है कि अफज़ल आतंकी है तो उसे गिरफ्तार करो......लगता है ये उसके अंतर्मन की आवाज़ नहीं है वरन् सच्चाई हो सकती है कि अफज़ल ज़िंदा है......इस से भी एक कदम आगे जब पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम् जैसा दिग्गज ये कहे कि अफज़ल की फाँसी एक गलत फैसला था....तो मेरा शक और भी पुख्ता हो जाता है कि ऐसी सोच वाले दल अफज़ल को कभी फाँसी दे ही नहीं सकते.....
और साथ ही ऐसा कह कर कांग्रेस ने अपने ही पूर्व नेता और वर्तमान में हिंदुस्तान के सर्वोच्च पद पर आसीन महामहिम राष्ट्रपति महोदय श्री प्रणव मुखर्जी पर भी ऊँगली उठा दी.......
ज्ञात रहे अफज़ल की दया याचिका राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जी ने ही ख़ारिज की थी
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कांग्रेस ने आज ना केवल हिंदुस्तान की न्याय पालिका और राष्ट्रपति जी की निर्णय क्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगाया है बल्कि उस घिनौनी सोच को सींचने का प्रयास किया है जो हर घर में अफजल पैदा करना चाहती है
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हिंदुस्तान की सड़को से ले कर संसद तक अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर हंगामा करने वाली कांग्रेस से मैं इसी अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत कुछ सवाल पूँछना चाहता हूँ, जिनका जवाब हिंदुस्तान की तमाम जनता के सामने कांग्रेस को देना ही होगा.....कि
* क्या अफज़ल आतंकी था ?
यदि हाँ तो आज उस के समर्थन में नारे लगाने वालो के साथ क्यूँ है कांग्रेस और यदि नहीं तो उसे फाँसी क्यों दी गयी ?
* क्या अफज़ल की फाँसी का फैसला गलत था तो तत्कालीन संसद, सर्वोच्च न्यायालय,राष्ट्रपति महोदय दोषी नहीं होंगे ?
* क्या किसी सोची समझी चाल के तहत अफज़ल और कसाब की फाँसी की गोपनीयता का नाटक तो नहीं किया गया ?
क्यों नहीं दी गयी उनके परिवार को उनकी लाश ?
* क्या jnu में चाहे किसी ने भी देश विरोधी नारे लगाये, कांग्रेस को सुनाई दिए या नहीं ?
* कांग्रेस केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस की jnu में प्रवेश पर राजनीति क्यों करती रही ?
* सब से सीधी बात जब ये कारवाही करना या ना करना दिल्ली पुलिस, कानून, और गृह मंत्रालय का काम था तो इसे राजनितिक रंग देने की कोशिश क्यों की गयी ?
* सब से अहम सवाल कि पी. चिदम्बरम् जी जो खुद एक काबिल वकील हैं, यदि उन्हें लगता था कि अफज़ल का अपराध फाँसी की सजा का हकदार नहीं है तो उन्होंने उसे बचाने के लिए उसी वक्त कदम क्यों नहीं उठाये ?
आज जबकि अफज़ल को फाँसी हो चुकी है तो इतने समय बाद ऐसा बयान देने का क्या मतलब ?
‪#‎आज़ाद_भारत_का_आज़ाद_नागरिक_अभिव्यक्ति_की_आज़ादी‬


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