बस..... अब और नहीं !!
और किस हद तक गिरेंगे ये कांग्रेस और केजरी एन्ड पार्टी वाले.....
बेहद शर्मनाक थी ये हरकत जो कल दिल्ली में की गयी
पहली बात तो ये की देश के प्रधानमन्त्री को इतने अपशब्द बोले गए...
अब छात्र थे भी या नहीं....
अगर छात्र भी थे तो जिस प्रकार खुलेआम भौंडा प्रदर्शन किया गया, उस की जितनी भर्त्सना की जाये कम ही होगी
आखिर ये राजनितिक दल या यूँ कहूँ दलदल जिस तरह से युवा पीढ़ी को हथियार बना कर अपना स्वार्थ साधने की कोशिश में लगे हैं तो उस से देश का भला होने वाला नहीं, साथ ही युवा पीढ़ी जो हिंदुस्तान का भविष्य भी है, जरूर गर्त में जाती दिखाई दे रही है
यह अत्यंत ही चिंताजनक है.......
चिंता का कारण और भी बढ़ जाता है जब ये युवा बिना सोचे समझे सड़कों पर हंगामा करने उतर जाते हैं...
आखिर ये विरोध है किसका ????????
उस आत्महत्या का जिसे हत्या में बदलना चाहते हैं और फिर जाँच आयोग बैठा है, उस के फैसले का इंतज़ार तक नहीं कर सकते......
हत्याए तो रोज़ बिहार, दिल्ली, बंगाल में भी खूब हो रही हैं ना, उनका विरोध क्यों नहीं ?????
उस छात्र रोहित बेमुला को दलित साबित कर सके जबकि उस के परिवार वाले कह चुके हैं कि वो दलित नहीं हैं.......
दलित तो और राज्यों में भी मर रहे है, अभी हाल ही में बिहार में एक महादलित परिवार पर दबंगो ने तेज़ाब डाला था, जिसमे औरते और बच्चे भी झुलसे थे, उनका विरोध क्यों नहीं ??????
उस व्यक्ति को इंसाफ दिलाने के लिए विरोध प्रदर्शन जो आतंकी याकूब की फाँसी के विरोध में तख्ती लिए धरना देता है जिस पर लिखा होता है " तुम एक याकूब मारोगे, हम हज़ार पैदा करेंगे "
जबकि देश की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों की शहादत के लिए तुम्हारे मुँह से दो शब्द श्रद्धांजली के नहीं निकल पाते, क्यों ???????
उस प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी का विरोध कर भद्दी गालियाँ निकाल रहे हो, जिसका इस आत्महत्या से कोई सम्बन्ध नहीं है....
उस प्रधानमन्त्री को गालियाँ कब दोगे जिसने खुलेआम बयान दिया था " बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती कंपेगी " और कांग्रेसियों को भड़का कर हजारों मासूम निर्दोष सिखों को मौत की नींद सुलवाया था ?????
इस धटना में बेवजह RSS..BJP को घसीटने की कोशिश में हंगामा......
लेकिन कांग्रेस के शासन में 1984 का कत्लेआम हो या 1990 का कश्मीरी पण्डितों की निर्मम हत्याएँ, उस कांग्रेस का कभी विरोध क्यों नहीं ?????
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अभी भी वक्त है कि हर हिंदुस्तानी को समझना होगा, सम्भलना होगा और एक जुट हो कर ऐसे देश विरोधी राजनितिक दलों का सफाया करना होगा जो आतंकी याकूब की फाँसी रुकवाने के लिए आधी रात को भी अदालत को खुलवा लेते हैं...
जिनके नेता बम बनाते पकड़े जाते हैं.........
जो देश को जात पात में बाँटने की कोशिश में लगे हैं....ताकि फूट डालो राज करो के आधार पर पुनः सत्ता पर काबिज़ हो सके......
जिन्हें वन्देमातरम् और जन गण मन से नफरत है.....
जो दो श्लोक गीता के पढ़ाने को शिक्षा का भगवाकरण कहते हैं और औरंगज़ेब, अकबर की महानता का पाठ बरसो से पढ़ा रहे हैं.....
जिन्हें झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई कायर लगती है तो टीपू सुल्तान, मो गजनवी, तैमूर लंग, बाबर जैसे वीर योद्धा लगते हैं......
जो गुरुकुल शिक्षा का विरोध करते हैं और ईसाई मिशनरी को बढ़ावा देते हैं......
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हाँ.... अगर हम जल्द नहीं सम्भले तो वो दिन दूर नहीं जब इस हिन्द के फिर टुकड़े होंगे और कहीं अंग्रेज़ो का तो कहीं मुगलों का राज़ होगा।
जयहिंद !!
वन्देमातरम् !!
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