14 फ़रवरी...ये कैसा प्रेम ??


दोस्तों.....
आज 14 फ़रवरी है और पूरी दुनिया में इस दिन का जितना महत्व नहीं होगा उस से कहीं ज्यादा हमारे हिंदुस्तान में इसे मानने वाले हैं....
अधिकतर टीवी चैनल्स में छाया रहता है ये दिन.....
सवाल ये उठता है कि.....
कौन थे वैलेंटाइन ??
और......
क्यों मनाया जाता है वैलेंटाइन डे ??
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जहाँ तक जानकारी मिलती है कि वैलेंटाइन रोम के एक पादरी थे और 14 फ़रवरी 269AD को शहीद हो गए थे लेकिन ऐसी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है ये क्यों, कैसे और किस के लिए शहीद हुए थे ??
अगर ये रोम से ताल्लुक रखते थे तो हिंदुस्तान में इन्हें इतना महत्त्व क्यों ??
कहीं ये महत्व हिंदुस्तान की सभ्यता और संस्कृति के नाश के लिए तो नहीं है ??
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हिंदुस्तान में इस के आगमन के बारे में भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पायी...हाँ 1992 में जब से विदेशी टीवी चैनल्स का पर्दापण हुआ तो इस दिन के प्रचार और प्रसार को काफी बल मिला....इसे प्रेम दिवस के रूप में ऐसे प्रचारित किया गया जैसे इस से पहले हिंदुस्तान में प्रेम प्यार नाम की कोई चीज़ थी ही नहीं.....
परिणाम स्वरूप इस दिन को बहुत से लोगों ने आत्मसात कर लिया......
ऐसे लोग ये क्यों भूल जाते हैं कि क्या प्रेम प्यार के लिए एक ही दिन होना चाहिए......
प्रेम करना ही उद्देश्य है तो एक दिन का ही दिखावा क्यों ?? करो ना साल के 365 दिन, दिन के 24 घण्टे और हर घण्टे का हर पल हर क्षण.......कौन रोकता है ??
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और फिर प्रेम प्यार के लिए कैसे रिश्तों की तलाश ?? और क्यों ??
हिंदुस्तान की संस्कृति का इतिहास उठा के देखिये......
हर रिश्ते में प्यार मिलेगा.....
चाहे वो श्रवण कुमार का अपने अंधे माता पिता के साथ था.....
या वो सावित्री जैसी पत्नी का अपने पति सत्यवान के जैसा हो, जो मौत के मुँह से खींच लाई थी पति को.....
राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न जैसा भाइयों का प्रेम हो.....
या फिर भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव आदि जैसे हिंदुस्तान के वीर सपूतों जैसा अपने देश से हो.....
ज्ञात रहे आज ही के दिन यानि 14 फ़रवरी 1931 को इन्हीं वीर सपूतों को अँगरेज़ हुकूमत ने फाँसी की सजा सुनाई थी और 23 मार्च 1931 को ये तीनों वीर हंसते हंसते फाँसी के फंदे पर झूल गए थे, जबकि आज़ादी केवल उन तीन को ही नहीं चाहिए थी और ना ही ये ही ये हिंदुस्तान केवल उन शहीदों का था.....
वो तमाम शहीद हमारे लिए अपनी जान पर खेल गए....
और हम एहसान फरामोश !!!!!!!!!!
इस दिन को " काला दिवस " के रूप में मान कर हिंदुस्तान के असली शहीदों को श्रद्धांजली ना दे कर.... एक ऐसे शख्स को सन्त और शहीद की तरह महिमा मण्डित करने में लगे हैं।
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जयहिंद !!
वन्देमातरम् !!
‪#‎देबू_काका‬

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